संसद के मानसून सत्र की शुरूआत के साथ ही आम हड़ताल का आह्वान कर तेलंगाना संघर्ष समिति ने आर-पार की लड़ाई का बिगुल फूंक दिया है। तेलंगाना क्षेत्र के सरकारी कर्मचारियों ने भी इसी दिन से बेमियादी हड़ताल का एलान कर आंदोलन को गरमा दिया है। अलग राज्य निर्माण के आंदोलन की अगुवाई कर रही संयुक्त संघर्ष समिति ने 14 जुलाई को रेल रोको आंदोलन की घोषणा भी की। साथ ही 12 जुलाई को एक बार फिर सड़कों पर सामूहिक रसोइयों में खाना बना कर विरोध प्रदर्शन होगा। समिति ने इससे पहले 8-9 जुलाई को प्रस्तावित रेल रोको आंदोलन टालते हुए कांग्रेस और तेदेपा को विरोध प्रदर्शन में शामिल होने का न्यौता दिया था। हालांकि तेलंगाना क्षेत्र के कांग्रेसी और तेदेपा नेताओं के सामूहिक तौर पर विरोध प्रदर्शन में शामिल होने से इनकार कर दिया। संघर्ष समिति के संयोजक एम कोडंदरम ने एक प्रेस वार्ता में रणनीति का खुलासा करते हुए कहा कि एक अगस्त से तेलंगाना में आम हड़ताल होगी जिसमें क्षेत्र के सरकारी कर्मचारी भी हिस्सा लेंगे। उन्होंने कहा, कांग्रेस और तेदेपा के पीछे हटने के बाद अब 14 जुलाई को रेल रोको आंदोलन होगा। हैदराबाद की तरह तेलंगाना के नौ अन्य जिलों में 12 जुलाई को सामूहिक रसोई लगाई जाएगी। संघर्ष समिति में शामिल यूनियनें एक अगस्त से बेमियादी हड़ताल के लिए 13 जुलाई को राज्य सरकार को हड़ताल का नोटिस देंगीं। सरकारी कर्मचारियों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए 15 जुलाई को महारैली होगी। साथ ही संघर्ष समिति हर नुक्कड़-कस्बों में जनसभा कर केंद्र सरकार के खिलाफ हल्ला बोलेगी। कोडंदरम ने दावा किया कि सरकारी स्वामित्व वाली सिंगरेनी कोयला उत्पादन कंपनी और बिजली विभाग के कर्मचारी भी हड़ताल में कूदने को तैयार हैं। कोडंदरम ने विधानसभा से इस्तीफा देने वाले मंत्रियों से भी सरकारी कामकाज से दूरी बनाए रखने की मांग की। उन्होंने कहा कि अलग राज्य के निर्माण पर केंद्र सरकार की खामोशी जनता को बेचैन कर रही है और संघर्ष समिति आंदोलन को अंजाम तक पहुंचाने के लिए तैयार है। इस्तीफा देने वाले तेलंगाना क्षेत्र के कांग्रेसी और तेदेपा नेताओं के संयुक्त प्रदर्शन में शामिल होने से इनकार पर कोडंदरम ने कहा कि इससे साबित हो गया है कि इन लोगों का विरोध प्रतीकात्मक है और वे राजनीतिक लाभ के लिए काम कर रहे हैं। गौरतलब है कि तेलंगाना क्षेत्र के सौ से ज्यादा विधायकों और 14 सांसदों के इस्तीफे से अलग राज्य निर्माण का मुद्दा एक बार गरमा गया है।
दैनिक जागरण (राष्ट्रीय संस्करण), 10 जुलाई, 2011
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