उत्तेजक टिप्पणियों को लेकर विवादों में रहने वाले कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह ने पहली बार स्वीकार किया कि पिछले साल जब उन्होंने माओवादी निरोधक रणनीति को लेकर गृहमंत्री पी चिदंबरम की आलोचना की थी, तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने नाराजगी जताई थी। सिंह ने एक चैनल के कार्यक्रम में कहा कि मेरी बोलती केवल एक बार उस समय बंद हुई थी, जब मैंने चिदंबरम के खिलाफ कुछ टिप्पणी की थी। सोनिया गांधी ने टिप्पणी पर काफी नाराजगी जताई थी और मैंने चिदंबरम से खेद जताया था। सिंह ने चिदंबरम को बौद्धिक दंभी करार देकर विवाद खड़ा कर दिया था। उन्होंने कहा था कि माओवाद मुद्दे पर उनका दृष्टिकोण बहुत संकीर्ण है। वह इसे शुद्ध रूप से कानून व व्यवस्था समस्या के रूप में देखते हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या उनके विवादास्पद बयानों से राहुल गांधी का नाम खराब हो रहा, उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से गलत है। मैं न तो राहुल गांधी का सलाहकार हूं और न ही मेंटर। आतंकवाद का सांप्रदायीकरण करने के आरोपों पर उन्होंने कहा कि वह ऐसा नहीं कर रहे हैं। अगर ऐसा है, तो इसके लिए भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और उनकी पार्टी को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। सिंह ने कहा कि जिन लोगों ने इसका सांप्रदारीकरण किया कि है, वह लालकृष्ण आडवाणी जैसे लोग हैं, जो उस समय प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री के पास गए थे, जब महाराष्ट्र एटीएस ने श्रीकांत पुरोहित, प्रज्ञा ठाकुर, दयानंद पांडेय और अन्य को मालेगांव विस्फोट मामले में गिरफ्तार किया था। भाजपा प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री के पास गई। क्या वे मुद्दे का सांप्रदायीकरण नहीं कर रहे हैं?
No comments:
Post a Comment