Monday, July 11, 2011

परवान नहीं चढ़ रही छोटे दलों की एकता


तमाम प्रयासों के बाद भी यूपी में छोटे सियासी दलों की एकजुटता परवान नहीं चढ़ रही। ये दल मिशन 2012 के लिए मोर्चा बनाने की कवायद तो कर रहे हैं, लेकिन इनके नेताओं के निजी स्वार्थ और अहम का टकराव इसमें रोड़ा बन गया है। नतीजतन इन दलों का मोर्चा बनने के कुछ दिन बाद ही बिखर जाता है और ये दल फिर से अपनी ढपली और अपना राग अलापने लगते हैं। दरअसल, छोटे दलों को विधानसभा चुनाव में पूर्वी उत्तर प्रदेश की कई सीटें अपने समीकरण के हिसाब से उपजाऊ लग रही हैं। इसका असर ये है कि कोई किसी से कम सीटें लेने को तैयार नहीं है। मिशन 2012 के मद्देनजर छोटे दलों के गठजोड़ का पहला प्रयोग राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह ने किया। पीस पार्टी, इंडियन जस्टिस पार्टी और जनवादी पार्टी को लेकर उन्होंने लोक क्रांति मोर्चा बनाने का एलान किया, लेकिन पिपराइच विधानसभा उपचुनाव में यह बिखर गया। मोर्चा के एक धडे़ जनवादी ने अपना उम्मीदवार उतार दिया, जबकि चौधरी पीस पार्टी के साथ सपा के समर्थन में खड़े हो गए। नतीजतन, विधानसभा चुनाव से पूर्व ही सबकी राहें जुदा हो गईं। इसके बाद पूर्व सांसद अफजाल अंसारी के कौमी एकता दल ने वाराणसी में भासपा, पीस पार्टी समेत कई छोटे दलों को एक मंच पर लाकर एमजुटता का अहसास कराया, लेकिन चुनावी अभियान के लिए वह साझा रणनीति बनाने में अभी तक विफल रहे। इसी तरह दो महीने पहले ही मानव प्रगतिशील पार्टी, समानता दल, जनवादी पार्टी, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, वंचित जमात पार्टी, नेशनल लोकतांत्रिक पार्टी और भारत रक्षा दल ने मिलकर राष्ट्रीय परिवर्तन मोर्चा बनाने का एलान किया, लेकिन मोर्चा बनने से पहले ही सिराजा बिखर गया। अब कौमी एकता दल अपना दल व उलेमा कौंसिल के साथ मोर्चा बनाने की कवायद में जुटा हैं, लेकिन सहमति नहीं बन पा रही है। पीस पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता यशपाल सिंह कहते हैं यूपी की जनता की उम्मीदों पर छोटे दलों का गठजोड़ ही खरा उतर सकता है, लेकिन ऐसी उम्मीदें तो बहुत से लोग जगा रहे हैं। अभी वेलफेयर पार्टी आफ इंडिया, राष्ट्रीय कम्युनिस्ट पार्टी, लोकतांत्रिक समाज पार्टी, भारतीय किसान यूनियन अम्बावत, किसान मंच, सजपा, मुस्लिम मजलिस, इंकलाब पार्टी आफ इंडिया जैसे कई राजनीतिक दलों ने तीन जून को जनसंघर्ष मोर्चा के बैनर तले झूलेलाल पार्क में एक रैली करके अपनी एकजुटता का मुजाहिरा किया। मोर्चा ने कांग्रेस, भाजपा, सपा और बसपा की कारपोरेट परस्त राजनीति के खिलाफ नया विकल्प खड़ा करने का एलान किया, लेकिन उनकी भी साझा रणनीति अभी तक समने नहीं आ सकी है। इंडियन जस्टिस पार्टी के डा.उदित राज ने पूर्व सांसद रामनिहोर राकेश, हरिशंकर माहौर समेत कई नेताओं को लेकर उपेक्षित दलित महापंचायत खड़ी करने का एलान किया, लेकिन उनकी बात भी आगे नहीं बढ़ सकी।


आनन्द राय, दैनिक जागरण (राष्ट्रीय संस्करण), 10 जुलाई, 2011

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