रामलीला मैदान में रामदेव के सत्याग्रह पर पुलिसिया कार्रवाई के लिए गृह मंत्री पी. चिदंबरम जिम्मेदार हैं। बाबा के भारत स्वाभिमान ट्रस्ट की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश राम जेठमलानी ने कार्रवाई के पीछे चिदंबरम का हाथ होने का आरोप लगाया और कहा, गृह मंत्रालय की गत 8 जून की प्रेस रिलीज से साफ होता है कि वे फैसला कर चुके थे कि सत्याग्रह नहीं होने देंगे। उन्होंने चिदंबरम को नोटिस जारी करने की मांग की जिस पर पीठ ने दिल्ली पुलिस के प्रत्युत्तर और मुख्य सचिव का हलफनामा आने के बाद विचार करने की बात कही। न्यायमूर्ति बी.एस. चौहान एवं न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की पीठ के समक्ष सोमवार को सुनवाई के दौरान बाबा के वकील जेठमलानी ने कहा, जिस तरह से कार्रवाई हुई, वह लोकतंत्र की हत्या है। दिल्ली पुलिस ने सत्याग्रह की अनुमति दी थी और शांतिपूर्वक सत्याग्रह करना उनका लोकतांत्रिक अधिकार है। जेठमलानी ने कहा, रात को लोग शांतिपाठ करके सो रहे थे तभी पांच हजार पुलिस वाले लुटेरों की तरह घुस गए और लोगों को पीटने लगे। रामदेव और उनके अनुयायियों को चार जून को आधी रात में रामलीला मैदान से बाहर निकालने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से कुछ अनुत्तरित सवालों के जवाब मांगे हैं। जैसे एक से चार जून के बीच क्या हुआ। छोटे क्षेत्र (पंडाल) के भीतर आंसू गैस के गोले और पानी की बौछार क्यों छोड़नी पड़ी। पुलिस का दावा है कि वहां योग नहीं हुआ, जबकि फोटो व अन्य साक्ष्यों से योग होने की बात पता चलती है। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से इन सवालों के जवाब मांगे हैं। पीठ ने दिल्ली के मुख्य सचिव के हलफनामे पर भी एतराज जताया, जिसमें कहा गया था कि वे घटना के समय विदेश में थे। पीठ ने कहा,आपके क्षेत्र में कोई घटना घटती है और आपको पता ही नहीं चलता। पीठ ने उनसे भी हलफनामा मांगा है।
पृष्ठ संख्या 01, दैनिक जागरण (राष्ट्रीय संस्करण) , 12 जुलाई, 2011
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