Tuesday, July 12, 2011

उल्टा पड़ सकता है कांग्रेस का दांव


महाराष्ट्र में राज्यसभा की एक सीट के उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने सुधारवादी मुस्लिम नेता हुसैन दलवई को उतारने का फैसला किया है, लेकिन उसका यह मुस्लिम कार्ड निकट भविष्य में उसके लिए महंगा साबित हो सकता है। वास्तव में पार्टी का मुस्लिम चेहरा समझे जाने वाले अन्य नेता दलवई को अपनी जमात का हिस्सा मानते ही नहीं। राज्यसभा सीट के लिए यह उपचुनाव मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण द्वारा खाली सीट को भरने के लिए हो रहा है। कांग्रेस ने इस सीट के लिए साल भर पहले ही विधान परिषद में भेजे गए हुसैन दलवई को उम्मीदवार बनाया है। कभी समाजवादी विचारधारा के निकट रहे दलवई को आज भी अपने बड़े भाई हमीद दलवई के नरमपंथी व सुधारवादी मुस्लिम नेता होने का खामियाजा भुगतना पड़ता है। हमीद ने निधन से पहले वसीयत लिखी थी कि उनके शव को अन्य मुस्लिमों की तरह दफनाने के बजाय जलाकर अंतिम संस्कार किया जाए। इस वसीयत का पालने करते हुए छोटा भाई होने के नाते हुसैन दलवई ने ही उन्हें मुखाग्नि भी दी थी। मुस्लिम समाज, खास तौर से कट्टरपंथी मुस्लिम नेता आज भी वर्षो पुरानी इस घटना को भूल नहीं पाए हैं। इसके अलावा हुसैन का एक हिंदू परिवार में वैवाहिक संबंध करना भी कट्टरपंथियों को नहीं सुहाता। इन सब घटनाओं का नुकसान हुसैन दलवई को अक्सर उठाना पड़ता है। ऐसा नुकसान वह दो बार मंत्री पद गंवाकर उठा चुके हैं। 1999 में समाजवादी पार्टी के विधान परिषद सदस्य रहते हुए जब उन्होंने कांग्रेस में प्रवेश किया, तो विलासराव देशमुख की सरकार में कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया था, लेकिन इससे नाखुश कांग्रेस के ही कट्टरपंथी मुस्लिम नेताओं ने उनके विरुद्ध अभियान छेड़ दिया। जिस कारण डेढ़ साल में ही उन्हें हटाकर सैयद अहमद को मंत्री बनाकर मुस्लिम कोटे की खानापूरी की गई। इसी प्रकार पिछले वर्ष नवंबर में पृथ्वीराज चह्वाण के मुख्यमंत्री बनने के बाद स्वयं उन्हें घर बुलाकर शपथ लेने का निमंत्रण देते हुए शिक्षा मंत्रालय सौंपने का निर्णय भी सुना दिया था, लेकिन कट्टरपंथियों के विरोध के चलते सुबह होते ही दिल्ली से हुसैन को मंत्री न बनाने का फरमान आ गया और मंत्री पद हुसैन के हाथ आते-आते फिसल गया। अब उन्हें कांग्रेस राज्यसभा में भेजने की तैयारी कर रही है जबकि मुंबई में महानगरपालिका एवं उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव सिर पर हैं । यदि कट्टरपंथी मुस्लिमों को कांग्रेस का यह फैसला नहीं भाया तो हुसैन दलवई के नाम पर खेला जा रहा मुस्लिम कार्ड कांग्रेस को फायदे के बजाय नुकसान पहुंचा सकता है


ओमप्रकाश तिवारी,  पृष्ठ संख्या 04, दैनिक जागरण (राष्ट्रीय संस्करण),  12 जुलाई, 2011

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