कालका मेल हादसे पर गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाने वाले रेल राज्यमंत्री और तृकां नेता मुकुल राय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आदेश के बावजूद सोमवार को असम में गुवाहाटी-पुरी एक्सप्रेस के दुर्घटनास्थल घघरापार का दौरा करने नहीं गए। उन्होंने दो टूक कहा कि कहा कि रेल मंत्रालय का प्रभार प्रधानमंत्री के पास है न कि उनके पास। मै तो तीन राज्यमंत्रियों में से एक हूं। हादसे के बारे में उत्तरपूर्व सीमांत रेलवे के महाप्रबंधक से बात करें। देर शाम राय ममता बनर्जी के साथ जंगल महल के दौरे पर चले गए। कोलकाता में होने के बाद भी उनके हादसास्थल पर न जाने की असली वजह दिनेश त्रिवेदी को रेलमंत्री बनाये जाने की चर्चाएं हैं। बताया जाता है कि त्रिवेदी को मंत्री बनाए जाने की खबर के बाद से राय का रेल मंत्रालय में मन नहीं लग रहा था। इसके अलावा पीएम व दूसरे राज्यमंत्रियों को भी उनके रेलमंत्री बनाये जाने पर आपत्ति थी। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मलवां हादसे पर गैर जिम्मेदाराना रवैया दिखाने के लिए राय को फोन पर फटकारा और निर्देश दिया कि वह गुवाहाटी में हुई रेल दुर्घटनास्थल पर पहुंचे। यह अलग बात है कि राय तब भी वहां नहीं गये और महाप्रबंधक से सब ठीक ठाक की रिपोर्ट लेकर संतुष्ट हो गये। इस बारे में बात करने पर मुकुल राय ने कोलकाता में पत्रकारों से कहा, मैं तो बस तीन राज्यमंत्रियों में से एक हूं। प्रधानमंत्री ही रेल मंत्री भी हैं। वह दुर्घटनाग्रस्त ट्रेन के उन घायल यात्रियों और उनके परिजनों से मिल रहे हैं, जो हावड़ा आ रहे हैं। हादसे के बारे में जो कुछ भी पूछना है उत्तर पूर्व सीमांत रेलवे के महाप्रबंधक एमआर चंद्रा से पूछे। कालका मेल हादसा स्थल पर नहीं जाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, रेल राज्यमंत्री केएच मुनियप्पा पहले ही राहत एवं बचाव कार्य की निगरानी कर रहे हैं और, राहत एवं बचाव कार्य लगभग पूरे हो चुके हैं। वहीं, उत्तर पूर्व सीमांत रेलवे के महाप्रबंधक एमआर चंद्रा ने गुवाहाटी हादसे के बारे में बताया कि मंत्री ने दुर्घटनास्थल का दौरा करने की पेशकश की थी, लेकिन हमने उन्हें बताया कि वहां स्थिति लगभग सामान्य हो चुकी है। हादसे में किसी की मौत नहीं हुई है। तीन यात्री गंभीर रूप से घायल हुए हैं और 13 को मामूली चोटें आई हैं। राहत और बचाव कार्य लगभग पूरे हो गए हैं। क्षतिग्रस्त पटरी को 16 से 20 घंटे में बहाल कर लिया जाएगा। इसके बाद उन्होंने दौरा स्थगित कर दिया। दरअसल, ममता ने पश्चिम बंगाल का मुख्यमंत्री बनने के बाद मुकुल राय को अपनी जगह रेल मंत्रालय में बिठा तो दिया, लेकिन कैबिनेट दर्जा नहीं दिलाया। राय ने यह सोचकर राज्यमंत्री के रूप में पदभार ग्रहण कर लिया कि फेरबदल में उन्हें कैबिनेट का दर्जा मिल जाएगा। मगर प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद उनकी कैबिनेट की राह मुश्किल हो गई। रेलवे के कामकाज की समीक्षा बैठक के दौरान राय प्रधानमंत्री पर कोई छाप नहीं छोड़ सके और प्रधानमंत्री ने ममता से किसी दूसरे व्यक्ति का नाम सुझाने को कह दिया। जिस पर ममता ने दिनेश त्रिवेदी का नाम आगे बढ़ा दिया। मीडिया में भी यह खबर आ गई। इसी के बाद से मुकुल राय पूरी तरह से मंत्रालय से उदासीन हो गये। यही वजह है कि रविवार को जब मलवां दुर्घटना के बारे में एक चैनल ने उनसे बात की तो उनका रवैया गैरजिम्मेदाराना था। राय ने कहा मैं 1000 किमी दूर बैठा हूं। मैं रेलमंत्री नहीं हूं। लिहाजा जब पीएम कहेंगे तो ही मैं दुर्घटनास्थल जाऊंगा। दरअसल प्रधानमंत्री ने केएच मुनियप्पा को मलवां जाने को कह दिया था। वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने इस मामले को तूल न देते हुए कहा,मंत्री मुकुल राय ने प्रधानमंत्री के आदेश की अवहेलना नहीं की है बल्कि यह कहा था कि वह दुर्घटनास्थल से दूर हैं।
पृष्ठ संख्या 01, दैनिक जागरण (राष्ट्रीय संस्करण) , 12 जुलाई, 2011
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