कभी संयुक्त आंध्र के पक्ष में आवाज बुलंद करने वाले वाइएसआर कांग्रेस के अध्यक्ष जगनमोहन रेड्डी ने अपने रुख में बड़े बदलाव का संकेत दिया है। तेलंगाना पर घिरी कांग्रेस पर हमला बोलने का मौका न चूकते हुए उन्होंने भी पृथक राज्य निर्माण के पक्ष में हमदर्दी जताकर गैर कांग्रेसी दलों के साथ एक मंच पर खड़े होने का संकेत दे दिया है। तेलंगाना पर चुप्पी तोड़ने का दबाव झेल रहे जगन ने शनिवार को पार्टी के पूर्ण सत्र के दौरान अजीबोगरीब स्थिति का सामना करना पड़ा। एक ओर तेलंगाना क्षेत्र के लोग अलग राज्य के समर्थन में नारेबाजी कर रहे थे तो दूसरी संयुक्त आंध्र के समर्थक कार्यकर्ता राज्य के विभाजन के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे थे। हालात को भांपते हुए उन्होंने सधे लहजे में कहा कि उनकी पार्टी अलग राज्य के मुद्दे पर तेलंगाना के लोगों की भावना का सम्मान करती है और केंद्र को इस विवादित मामले में तत्काल उचित फैसला करना चाहिए। पिता से राजनीतिक दांवपेंच विरासत में पाने वाले जगन ने खुलकर अलग राज्य के पक्ष में कोई बयान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि हम तेलंगानावासियों की भावना का सम्मान करते हैं लेकिन हम न तो अलग राज्य को मंजूरी देने की स्थिति में है न ही इसे रोकने की स्थिति में। जगन ने कांग्रेस पर दबाव डालते हुए कहा कि यह केंद्र सरकार पर है कि वह उचित फैसला ले जिससे आंध्र प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों के हितों का नुकसान नहीं हो। कांग्रेस सांसद के तौर पर संयुक्त आंध्र का नारा बुलंद करने वाले जगन को राजनीतिक समर्थन पाने के लिए की गई ओद्रपु यात्रा के दौरान तेलंगाना क्षेत्र में भारी विरोध का सामना करना पड़ा था। पृथक राज्य के समर्थक दल जगन के पिता और पूर्व मुख्यमंत्री स्व. राजशेखर रेड्डी पर तेलंगाना निर्माण में अड़ंगा लगाने की तोहमत मढ़ते रहे। तेलंगाना विरोधी होने की छवि को बदलते हुए जगन ने कहा कि उनके सहयोगी नेताओं ने तेलंगाना पर विचार विमर्श के लिए एक कमेटी गठित करने की सलाह दी थी लेकिन अब कदम पीछे खींचने का वक्त नहीं है।
दैनिक जागरण (राष्ट्रीय संस्करण), 10 जुलाई, 2011
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