Saturday, September 15, 2012

भाजपा में फिर लौटेंगे कल्याण



ठ्ठ जागरण संवाददाता, अलीगढ़ पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को एक बार फिर भाजपा में वापस लाने की पटकथा तैयारी हो चुकी है। उनके ही मुख्यमंत्रित्व काल के सहयोगी इस बार मध्यस्थ की भूमिका में हैं। इस मुद्दे पर दिल्ली में कई दौर की बातचीत हो चुकी है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी भी कल्याण की भाजपा में वापसी के पक्षधर हैं। अब बस संघ की हरी झंडी का इंतजार है। संगठन के चुनाव निबटते ही लखनऊ में बड़ी रैली का प्लान है। यहीं से कल्याण हुंकार भर सकते हैं। भाजपा को कब्र में दफना देने की ठान लेने वाले कल्याण की चुप्पी भी इन कयासों को बल दे रही है। भाजपा को कल्याण ने दो बार गुडबाय कहा है। दोनों ही बार कल्याण ने अलग दल बनाया, लेकिन इतना जनसमर्थन नहीं जुटा सके कि सत्ता चलाने की चाबी अपने पास रख पाते। 2012 के विधानसभा चुनाव में कल्याण ने जनक्रांति पार्टी के प्रत्याशियों के समर्थन में 100 से ज्यादा जनसभाएं की थीं। यहां भीड़ भी खूब उमड़ी, लेकिन भीड़ वोट में तब्दील नहीं हो सकी। भाजपा को नुकसान खूब हुआ, क्योंकि इनके तमाम प्रत्याशी तो भाजपा छोड़कर ही आए थे। भाजपा और कल्याण, दोनों का कल्याण न हो सका तो फिर एक दूसरे के निकट आने को मजबूर हैं। भाजपा भी कल्याण के खाली स्थान को नहीं भर सकी। भाजपा ने कल्याण को साथ लाने के लिए शानदार ऑफर रखे हैं। कल्याण के बेटे व जनक्रांति पार्टी के अध्यक्ष राजवीर सिंह उर्फ राजू भैया को राष्ट्रीय सचिव बनाया जा सकता है। साथ ही, राज्यसभा सदस्य भी बनाने की बात कही जा रही है। कल्याण अब तीसरी पीढ़ी को भी मैदान में लाना चाहते हैं। विधानसभा चुनाव में पोते को एटा से उतारा जा सकता है। अतरौली में पुत्रवधू प्रेमलता वर्मा पहले से ही चुनाव लड़ती रही हैं। बताते हैं कि शारीरिक स्थिति को देखते हुए 2014 का लोकसभा चुनाव कल्याण नहीं लड़ना चाहते। अभी वह एटा से सांसद हैं। कल्याण के भाजपा में लौटने को लेकर जहां कुछ कार्यकर्ताओं में उत्साह है तो उनके खिलाफ चुनाव मैदान में कूदने वालों में उदासी भी। उन्हें शक है कहीं भाजपा में कल्याण की वापसी के बाद उनका कल्याण न अटक जाए?

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