Friday, September 7, 2012

राज्यसभा में दो-दो हाथ



ठ्ठ जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली भारतीय संसद बुधवार को फिर शर्मसार हुई। राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान बसपा और सपा के सदस्य आपस में भिड़ गए। सदस्यों ने न सिर्फ हाथापाई की बल्कि सभापति और मंत्री के कागज फाड़ने की कोशिश भी की। उन्हें काबू करने के लिए मार्शल को दखल देना पड़ा। इस घटना के दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी सदन में मौजूद थे। सरकार भी जिद पर नजर आई। हंगामे के बीच ही एससी-एसटी को प्रोन्नति में आरक्षण के प्रावधान वाला विवादास्पद संविधान संशोधन विधेयक राज्यसभा में पेश कर दिया गया। लोकतंत्र को शर्मिदा करने वाला यह वाकया दोपहर 12 बजे राज्यसभा की कार्यवाही दोबारा शुरू होते ही हुआ। सरकार की ओर से विधायी कार्य में सबसे ऊपर संविधान संशोधन (117वां) विधेयक दर्ज था। कार्यवाही शुरू होते ही सपा सांसद नरेश अग्रवाल विरोध के लिए वेल की ओर बढ़े। वहीं मौजूद बसपा सांसद अवतार सिंह करीमपुरी ने उन्हें रोकने की कोशिश में उनका कॉलर पकड़ लिया। इससे गुस्साए अग्रवाल उनसे भिड़ गए और फिर दोनों में जोरआजमाइश हुई। कुछ अन्य सदस्यों ने करीमपुरी को उनकी सीट पर बिठाया, जबकि सपा सदस्य सभापति के आसन की ओर बढ़ गए। अग्रवाल अन्य सदस्यों के साथ उप सभापति पीजे कुरियन के आसन के बिल्कुल करीब पहुंच गए। सपा के कुछ सदस्य यह बिल पेश करने वाले कार्मिक राज्य मंत्री वी नारायणसामी की ओर बढ़ने की कोशिश कर रहे थे। सदन में मौजूद मार्शल ने अग्रवाल को आसन तक पहुंचने से रोक लिया। बाद में अग्रवाल ने सभापति हामिद अंसारी से करीमपुरी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन की शिकायत की। इसी हंगामे के बीच उप सभापति के आदेश से नारायणसामी ने विधेयक सदन में पेश कर दिया। इसके तुरंत बाद सदन की कार्यवाही पहले दो बजे तक और फिर पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई। सरकार ने कोयला ब्लाक आवंटन पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट को लेकर हो रही अपनी आलोचना के बीच यह विवादास्पद विधेयक भले पेश कर दिया हो, लेकिन उसे भी पता है कि इसे पास करवाना इतना आसान नहीं होगा। बुधवार के हंगामे के बाद मुमकिन है कि इसका हश्र भी वर्षो पहले संसद में पेश किए गए महिला आरक्षण विधेयक जैसा हो। सदन में हुई हाथापाई के बाद प्रधानमंत्री ने विधेयक के भविष्य पर वरिष्ठ मंत्रियों से चर्चा की। बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री पवन बंसल ने कहा, गुरुवार को बिल पर राज्यसभा में चर्चा होगी। कांग्रेस जहां यह बिल पेश कर कैग से ध्यान हटाने की रणनीति में खुद को कामयाब मान रही है, वहीं भाजपा इसके पक्ष या विपक्ष में मुखर नहीं दिखना चाहती। मायावती बुधवार को भी इसके पक्ष में सबसे ज्यादा सक्रिय दिखीं। उन्होंने बिल लटकाने के लिए भाजपा और कांग्रेस की आलोचना की, जबकि मुलायम सिंह ने विधेयक को असंवैधानिक बताते हुए सपा सदस्यों की ओर से किए गए विरोध को सही ठहराने की कोशिश की। (संबंधित खबरें पेज-

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