Friday, September 21, 2012

ममता ने संप्रग को छोड़ा





ठ्ठ जागरण न्यूज नेटवर्क, कोलकाता केंद्र सरकार में शामिल तृणमूल कांग्रेस ने मंगलवार देर शाम लंबी बैठक में संप्रग से अलग होने का फैसला ले लिया। पेट्रो पदार्थो में मूल्यवृद्धि, खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस से मंगलवार को कड़े कदम की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन उससे आगे बढ़ते हुए ममता ने मनमोहन सिंह सरकार से समर्थन वापसी का एलान कर दिया। उन्होंने कहा, सरकार के फैसलों से आम आदमी मर जाएगा, यह आपदा होगी। तृणमूल के सभी छह मंत्री शुक्रवार को केंद्र सरकार से इस्तीफा देंगे, साथ ही पार्टी की ओर से समर्थन वापसी का औपचारिक पत्र भी राष्ट्रपति को सौंपा जाएगा। हालांकि ममता ने साफ कहा, अब हम संप्रग से बाहर हैं, लेकिन कांग्रेस ने उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा है। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता जनार्दन द्विवेदी ने ममता को बहुमूल्य सहयोगी बताते हुए उनकी कही बातों पर विचार का आश्वासन दिया है। संप्रग में कांग्रेस के बाद तृणमूल कांग्रेस दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है। लोकसभा में उसके 19 सदस्य हैं। तृणमूल के समर्थन वापस लेने से मनमोहन सरकार अल्पमत में आ गई है और अब वह 22 सांसदों वाली समाजवादी पार्टी और 21 सांसदों वाली बहुजन समाज पार्टी के समर्थन की मोहताज है। केंद्र में सरकार बनाए रखने के लिए लोकसभा में 272 सदस्यों का समर्थन आवश्यक है, तृणमूल की समर्थन वापसी के बाद यह संख्या घटकर 254 हो गई है। कोयला ब्लॉक आवंटन में गड़बड़ी के आरोप की तपिश झेल रही केंद्र सरकार ने बीते शुक्रवार को खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) को बढ़ाकर 51 प्रतिशत करने का फैसला किया था। इसके एक दिन पहले सरकार ने डीजल पर पांच रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी करने के साथ सब्सिडी पर दिए जा रहे एलपीजी गैस सिलेंडरों को सालाना छह तक सीमित कर दिया था। केंद्र के इन फैसलों ने देश में भूचाल ला दिया और समर्थकों पर समर्थन वापसी का दबाव बढ़ गया। शनिवार को ही ममता बनर्जी ने केंद्र को फैसले वापस लेने के लिए 72 घंटे का अल्टीमेटम देते हुए कड़ा फैसला लेने की चेतावनी दी थी। राजनीतिक हलकों में कड़े फैसले को तृणमूल के मंत्रियों के केंद्र सरकार छोड़ने के परिप्रेक्ष्य में देखा जा रहा था, लेकिन पार्टी ने उससे आगे बढ़कर फैसला किया। ममता ने समर्थन वापसी के फैसले पर पुनर्विचार का भी विकल्प छोड़ रखा है बशर्ते केंद्र सरकार अपने लिए फैसलों में जनता को राहत का एलान करे।


दैनिक जागरण राष्ट्रीय संस्करण पेज -1,19-9-2012 राजनीति

No comments:

Post a Comment