Tuesday, September 27, 2011

राज्यपाल को बिल रोकने का हक नहीं

 भाजपा शासित राज्यों के राज्यपालों के समक्ष बरसों से लंबित तमाम विधेयकों पर चिंता जताते हुए राज्यसभा में प्रतिपक्ष के नेता अरुण जेटली ने कहा है कि राज्य के संवैधानिक मुखिया को विधेयक को लटकाए रखने का हक नहीं है। बिहार के राज्यपाल का बिना नाम लिए बगैर उन्होंने कहा कि बिल यदि एक बार लौटाया जाता है तो दूसरी बार भेजने पर उस पर सहमति देना बाध्यता है। गलत तरीके से विधेयकों को रोकने की नई परिपाटी शुरू होने पर चिंता जताते हुए जेटली ने कहा कि इससे न्यायपालिका का हस्तक्षेप हो सकता है। उन्होंने इसको लेकर केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मंत्रिपरिषद की सिफारिश राजभवनों में पड़ी है। बिहार विधान सभा उप भवन में विधान परिषद व विधान सभा सदस्यों के लिए आयोजित दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम में बोलते हुए लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने सदन की कार्यवाही में व्यवधान डालने के बदले उच्चस्तरीय बहस व चर्चा करने पर बल दिया है। उन्होंने कहा कि शासन व्यवस्था में कार्यपालिका की विधायिका के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए सदन में प्रश्न पूछना ऐसा साधन है जिसका विकल्प नहीं है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र में झिझक नहीं होनी चाहिए। पहला अवसर मिले तो उसका सदुपयोग किया जाए। संसदीय व्यवस्था में अपना स्थान प्राप्त करने के लिए अध्यक्ष की ओर टकटकी लगाना पड़ता है। नजर अध्यक्ष की ओर हो व कुछ भी बोला जाए तो अध्यक्ष की ओर नजर रखकर बोलें। उन्होंने प्रबोधन कार्यक्रम का महत्व बताते हुए कहा कि इससे जनप्रतिनिधि अपने दायित्व का सही तरीके से निर्वाह करेंगे। उनके अनुसार सदन की कार्यवाही सरस होनी चाहिए। टोकाटोकी से सदन की कार्यवाही को गति मिलती है। लोक सभा के पूर्व महासचिव जीसी मल्होत्रा ने कहा कि राज्यपाल को किसी विधेयक को रोकने का अधिकार नहीं है। राज्यपाल निर्वाचित नहीं होते हैं। वह निर्वाचित संस्था के अधिकार को नहीं रोक सकते हैं

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