Friday, September 30, 2011

रिश्ते हों बेहतर पर आतंकवाद से समझौता नहीं


आतंकी गुटों के खिलाफ कार्रवाई में नाकामी को लेकर अमेरिकी दबाव से घिरा पाकिस्तान जहां भारत से संबंध सुधार की पींगें बढ़ाने के मौके बटोर रहा है। वहीं इस पाकिस्तानी पेशबंदी पर सतर्क भारत दोस्ती का हाथ थामने के साथ ही यह हर हाल में साफ कर देना चाहता है कि आतंकवाद पर उसका रुख समझौते से परे है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में हाशिए पर पाक की ओर से सौहार्द की हर पहल को तवज्जो देने के साथ ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आतंकवाद को सींचने में आइएसआइ की भूमिका पर अमेरिका में उठ रहे सवालों का खुल कर समर्थन किया। वतन वापसी के दौरान मीडिया से बातचीत में प्रधानमंत्री ने शीर्ष अमेरिकी जनरल एडमिरल माइक मुलेन द्वारा आइएसआइ पर लगाए आरोपों के बारे में पूछे जाने पर कहा कि इसमें कुछ भी नया नहीं है। भारत तो यह बात हमेशा से कहता रहा है। खुशी इस बात की है कि अब दुनिया को भी यह सच्चाई नजर आने लगी है। साथ ही पीएम ने इस बात पर भी जोर दिया कि पहले भारत जब आतंकवाद के पीछे आइएसआइ की भूमिका का मामला उठाता था तो दुनिया भरोसा नहीं करती थी। उल्लेखनीय है कि एडमिरल मुलेन ने बीते दिनों काबुल में अमेरिकी दूतावास पर हुए हमले के लिए सीधे आइएसआइ को जिम्मेदार ठहराया था। अमेरिका में शीर्ष सैन्य स्तर से आए इन आरोपों ने पाकिस्तान के साथ उसके रिश्तों को तलहटी में पहुंचा दिया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में शिरकत के लिए पहुंची पाकिस्तानी विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार का पूरा दौरा इन सवालों पर सफाई देते ही बीता। हालांकि इस बढ़ते दबाव के बीच हिना ने पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की पहल की। वहीं बाद में भारतीय विदेश मंत्री एसएम कृष्णा को संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तानी मिशन की ओर से आयोजित पार्टी का न्योता भेजा गया। भारतीय विदेश मंत्री ने भी प्रोटोकॉल को दरकिनार कर पार्टी में शिरकत की। हालांकि इस मुलाकात में भी कृष्णा ने अपनी पाकिस्तानी समकक्ष को यह जरूर याद दिलाया कि पाक को आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के वादे नहीं भूलने चाहिए।

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