Tuesday, July 12, 2011

मंत्रिमंडल में शामिल होंगे दर्जन भर नए चेहरे


बीते लगभग आठ महीने से भ्रष्टाचार और घोटालों को लेकर चौतरफा हमले झेल रहे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह मंगलवार को अपने मंत्रिमंडल में बहुप्रतीक्षित फेरबदल करने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री और कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी की सोमवार की मुलाकात में फेरबदल की कवायद को हरी झंडी मिल गई। फेरबदल की इस पहल में मंत्रिमंडल में लगभग दर्जनभर नये चेहरों के शामिल होने की उम्मीद है, जबकि लगभग आधा दर्जन मंत्रियों को हटाए जाने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। उत्तर प्रदेश समेत अगले साल विधानसभा चुनाव वाले पांचों राज्यों को इस फेरबदल में खास तरजीह दी जा सकती है। मुकुल राय की जगह दिनेश त्रिवेदी का कैबिनेट दर्जे के साथ रेलमंत्री बनाया जाना लगभग तय है। प्रधानमंत्री ने इसी साल जनवरी में केंद्रीय मंत्रिमंडल का संक्षिप्त फेरबदल करते समय अगली बार बड़े बदलाव की बात कही थी। इस बार प्रधानमंत्री अपना वह वादा पूरा करने जा रहे हैं। उसमें अगले साल विधानसभा चुनावों के मद्देनजर उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल व गोवा को खास तवज्जो दी सकती है। मुख्यमंत्री बनने के बाद ममता बनर्जी के इस्तीफे से रेल मंत्रालय में कैबिनेट मंत्री का पद खाली है। फेरबदल में यह मंत्रालय अब तृणमूल कांग्रेस के ही दिनेश त्रिवेदी को मिलने जा रहा है। वे अभी स्वास्थ्य मंत्रालय में राज्यमंत्री हैं। सूत्रों के मुताबिक मंत्रिमंडल में लगभग दर्जनभर नए चेहरे शामिल होने जा रहे हैं, जिनमें महाराष्ट्र से मुरली देवड़ा के बेटे मिलिंद देवड़ा, पश्चिम बंगाल से सुदीप बंद्योपाध्याय, छत्तीसगढ़ से चरनदास महंत, पंजाब से प्रताप सिंह बाजवा, असम से भुवनेश्वर कलिता व पवन सिंह घटोवार में से कोई एक, राज्यसभा के मनोनीत सदस्य डा. अशोक एस गांगुली, उत्तर प्रदेश से राजबब्बर के अलावा राजपूत सांसदों में हर्षबर्धन सिंह, जगदंबिका पाल, राजकुमारी रत्ना सिंह में से किसी एक को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। उत्तर प्रदेश से अभी केंद्रीय मंत्रिमंडल में एक ब्राह्मण, दो कुर्मी, दो वैश्य और मुस्लिम समुदाय से एक मंत्री है। चार सांसद राजपूत हैं। प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव है। लिहाजा एक राजपूत को मंत्री बनाकर उत्तर प्रदेश में राजपूत मतदाताओं को संदेश देने की कोशिश की जा सकती है। कांग्रेस में आने के बाद बेनी प्रसाद वर्मा पार्टी के लिए उपयोगी साबित हुए हैं। पार्टी को विधानसभा चुनाव में भी उनसे उम्मीद है। लिहाजा स्टील मंत्रालय में स्वतंत्र प्रभार के राज्यमंत्री से उनका ओहदा बढ़ाकर उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया जाना तय माना जा रहा है। जबकि सपा छोड़ कांग्रेस के लिए फायदेमंद साबित हुए राजबब्बर को भी मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की चर्चा है। कई मंत्रियों के मंत्रालयों में फेरबदल के साथ ही उनका ओहदा बढ़ाए जाने की बात है। सूत्रों के मुताबिक वाणिज्य राज्यमंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, उर्वरक राज्यमंत्री श्रीकांत जेना, कृषि राज्यमंत्री हरीश रावत, दूरसंचार व गृह राज्यमंत्री गुरुदास कॉमत, वित्त राज्यमंत्री एसएस पलानीमक्कम को किसी मंत्रालय में कैबिनेट या फिर स्वतंत्र प्रभार का राज्यमंत्री बनाया जा सकता है। चर्चा यह भी है कि उत्तराखंड में अगले साल विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कृषि राज्यमंत्री हरीश रावत को केंद्रीय मंत्रिमंडल से मुक्त करके प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कमान सौंपी जा सकती है। उस स्थिति में पार्टी उन्हें बतौर मुख्यमंत्री पेश कर सकती है। केंद्रीय मंत्रियों में कपिल सिब्बल के पास दो मंत्रालय हैं, उनमें से दूरसंचार हटाकर उनका बोझ हल्का करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय तक सीमित किया जा सकता है। इसी तरह वायलार रवि के पास प्रवासी भारतीय मंत्रालय के साथ ही नागरिक उड्डयन का भी प्रभार है। उनसे नागरिक उड्डयन हटाया जा सकता है। जबकि ग्रामीण विकास मंत्री विलासराव देशमुख, संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल, जल संसाधन विकास व अल्पसंख्यकों मामलों के मंत्री सलमान खुर्शीद के मंत्रालय बदले जा सकते हैं। इसके अलावा वीके हांडिक, एमएस गिल, वीरभद्र सिंह व कांतिलाल भूरिया समेत आधा दर्जन मंत्रियों को मंत्रिमंडल से हटाए जाने की उम्मीद है


राजकेश्वर सिंह, पृष्ठ संख्या 03, दैनिक जागरण (राष्ट्रीय संस्करण) , 12 जुलाई, 2011

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