नई दिल्ली राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के सद्भावना उपवास को मिले समर्थन की तासीर परखने में जुटा गया है। यह पहला मौका है जब मोदी के किसी कार्यक्रम को इतने बड़े पैमाने पर राजनीतिक समर्थन मिला है। हालांकि आम चुनाव दूर होने से वह अभी से किसी एक व्यक्ति को प्रधानमंत्री के रूप में पेश करने के पक्ष में नहीं है, लेकिन संभावित नामों को लेकर उसके अंदरूनी आकलन जारी है। उसके इस चिंतन में भाजपा के मौजूदा केंद्रीय नेताओं के अलावा नरेंद्र मोदी का नाम भी शामिल है। संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी का कहना है कि मोदी भाजपा के राष्ट्रीय स्तर के नेता पहले से ही हैं। इसके लिए उनको कुछ साबित करने की जरूरत नहीं है। उनके इस उपवास को जिस तरह देश भर का समर्थन मिला, वह काफी महत्वपूर्ण है। दरअसल बीते एक दशक में मोदी संघ के प्रखर हिंदुत्व के एक प्रमुख चेहरा रहे हैं। ऐसे में मोदी के उपवास में राजग के बाहर के दलों के समर्थन को संघ भावी राजनीति की दृष्टि से महत्वपूर्ण मानता है। इस समर्थन की राजनीतिक तासीर कितनी है, इसका आकलन मोदी की भविष्य की राह भी तय करेगा। चूंकि चुनाव अभी काफी दूर हैं इसलिए न तो संघ और न ही भाजपा प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के बारे में अपने पत्ते खोलना चाहती है। भाजपा में प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी को लेकर संघ पहले ही अपनी राय साफ कर चुका है। उज्जैन की समन्वय बैठक में संघ नेतृत्व ने भाजपा नेताओं को स्पष्ट कर दिया था कि लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी किसी को प्रधानमंत्री के रूप में पेश नहीं करे। आडवाणी की भ्रष्टाचार विरोधी यात्रा का विरोध भी उसने इसलिए किया था, क्योंकि इससे उनकी प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी की अटकलें लगनी लगी थी। जहां तक बात नरेंद्र मोदी की है, तो वह संघ की तरफ से इस पद के लिए एक पसंद पहले से रहे हैं। चूंकि भाजपा के साथ राजग के सहयोगी दल भी है, इसलिए किसी भी नाम पर सहमति बनाने के लिए उनकी भी पसंद देखी जाएगी
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