विधानसभा चुनाव की दस्तक के बीच खालिस्तानी आतंकी प्रो. देविंदर पाल सिंह भुल्लर को फांसी की सजा से माफी फिर से एक चुनावी मुद्दा बन गई है और सत्तारूढ़ अकाली दल और कांग्रेस के बीच राजनीति तेज हो गई है। राष्ट्रपति की ओर से भुल्लर की दया याचिका भले ही खारिज हो चुकी हो, लेकिन राजनीति के लिए वह एक मोहरा बन गया है। चुनावी माहौल में राज्य सरकार ने विधानसभा के आगामी सत्र में भुल्लर की सजा माफी के लिए प्रस्ताव लाने की बात कही है। वहीं कांग्रेस ने भाजपा और अकाली दल की नीयत पर सवाल खड़ा कर दिया है। मालूम हो कि इस मुद्दे पर अकाली दल को भाजपा से मदद नहीं मिलेगी। ऐसे में मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कांग्रेस से मदद मांगने की बात कही थी। मगर कांग्रेस अध्यक्ष कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी उलटी फांस लगा दी। कैप्टन ने आरोप लगाया कि अकाली-भाजपा सरकार ने अदालत में शपथ देकर भुल्लर को पक्का अपराधी और खतरनाक आतंकवादी बताया था। ऐसे में अकाली दल राजनीतिक स्टंट कर रहा है। दरअसल भुल्लर का जो भी हो, फिलहाल अकाली दल और कांग्रेस में यह होड़ मची है कि चुनाव के वक्त वह भुल्लर की ज्यादा हमदर्द दिखे। पंजाब विधानसभा में अकाली दल के 49 विधायक हैं, जबकि कांग्रेस के 43 विधायक। 117 सदस्यीय विधानसभा में यह प्रस्ताव पारित कराने के लिए अकाली दल को 60 विधायकों की जरूरत होगी। यही वजह है कि भाजपा से मिले जवाब के बाद अकाली दल कांग्रेस से मदद की उम्मीद लगा रहा था
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