पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को बुधवार को दोहरी सफलता हासिल हुई। भवानीपुर विस उपचुनाव में माकपा प्रत्याशी को 54,213 मतों से हराने वाली ममता ने सिंगुर की जमीन पर कब्जे के मामले में रतन टाटा को हाईकोर्ट में मात दी। कलकत्ता हाई कोर्ट ने सिंगुर भूमि पुनर्वास- विकास अधिनियम, 2011 को चुनौती देने वाली टाटा मोटर्स की याचिका खारिज कर दी। अदालत ने अपने आदेश में कहा,राज्य सरकार द्वारा कुछ माह पूर्व पारित कानून संवैधानिक व वैध है। कंपनी दो माह के भीतर सिंगुर से सारा सामान हटा ले। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए कहा, सिंगुर के किसान आंदोलन ने भारत ही नहीं पूरी दुनिया के ऐसे प्रभावितों को रास्ता दिखाया है। सरकार दो नवंबर के बाद किसानों को जमीन लौटाने की प्रक्रिया शुरू करेगी। वहीं, टाटा मोटर्स ने अदालत के फैसले के अध्ययन के बाद आगे की कार्रवाई की बात कही है। हाईकोर्ट के न्यायाधीश इंद्रप्रसन्न मुखर्जी ने 51 पृष्ठों के फैसले में कहा, राज्य सरकार द्वारा बनाया गया कानून तथा इसके तहत उठाया गये कदम संवैधानिक है। कानून में इस प्रकार के अधिग्रहण के लिए पर्याप्त जनहित का ध्यान रखा गया है। अदालत ने कहा,उसके फैसले पर दो नवंबर तक बिना शर्त रोक रहेगी ताकि पीडि़त पक्ष आगे अपील कर सकें। अदालत ने हुगली के डीएम-एसपी को विशेष अधिकारी नियुक्त किया है,जो इस बात पर नजर रखेंगे कि टाटा से भूमि का हस्तांतरण दो माह में राज्य सरकार को सुगमता से हो। मुखर्जी ने इस मामले में दुकानदारों की भी अर्जी खारिज करते हुए उन्हें दी गई जमीन का हस्तांतरण भी बरकरार रखा। राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद ममता ने नया कानून पारित कर 21 जून की शाम पूरी जमीन कब्जे में ले ली थी। टाटा मोटर्स ने 22 जून को हाईकोर्ट में यह कहते हुए नए कानून को चुनौती दी कि यह असंवैधानिक है क्योंकि 600 एकड़ भूमि उसे दी गई थी जिसका हस्तांतरण किया जाना गलत है। वहीं, ममता ने अदालत को धन्यवाद देते हुए कहा, सिंगुर में 600 एकड़ भूमि में एक बड़ा कारखाना लगाया जाएगा, शेष 400 एकड़ भूमि मुआवजा स्वीकार नहीं करने वाले किसानों को वापस कर दी जाएगी।
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