कोलकाता रैली एवं होर्डिग्स स्थल के बदलाव पर आम सहमति बनाने के ध्येय से राइटर्स में शुक्रवार को सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक बेनतीजा समाप्त हो गई। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी रैली व होर्डिग्स लगाने के वर्तमान स्थलों में बदलाव चाहती हैं, लेकिन विपक्ष इससे सहमत नहीं है। विपक्ष इसे लोगों के जनतांत्रिक अधिकारों के हनन की संज्ञा दे रहा है, जबकि मुख्यमंत्री का तर्क है कि सियासी रैलियों से आम जनता को दिक्कत नहीं होनी चाहिए। मुख्यमंत्री बनर्जी वर्तमान रैली स्थलों में बदलाव कर ऐसे स्थल का चयन करना चाहती हैं जहां लोगों को रैली के दौरान आवागमन में दिक्कतों का सामना न करना पड़े। वर्तमान में राजनीतिक पार्टियां मेट्रो सिनेमा के सामने, शहीद मीनार, रानीरासमणि एवेन्यू आदि स्थानों पर रैली व सभा करती हैं। मुख्यमंत्री चाहती हैं कि मेट्रो के सामने रैली व सभा न हो बल्कि इसके बदले महात्मा गांधी की मूर्ति मेयो रोड में रैली व सभा की जाए। इसी तरह राजनीतिक होर्डिग्स के लिए वह दस स्थानों को चयनित करना चाहती हैं। बैठक में इस मुद्दे पर सत्तारूढ़ दल तृणमूल एवं विपक्ष वाममोर्चा के बीच खासी तकरार हुई। विपक्ष ने ऐसे फैसले को सिरे से खारिज कर दिया। यही नहीं बैठक से बाहर आने के बाद माकपा के नेता मोहम्मद सलीम ने सरकार पर रैली स्थलों के बदलाव के नाम पर लोगों के गणतांत्रिक अधिकारों का हनन का आरोप जड़ दिया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में रैली व होर्डिग्स के अलावा महंगाई व राज्य में खून खराबा जैसे ज्वलंत मुद्दे हैं जिस पर सर्वदलीय बैठक बुलाई जानी चाहिए थी। इस पर मुख्यमंत्री ममता भड़क गई और पलटवार में उन्होंने माकपा नेता पर झूठ बोलकर जनता को गुमराह करने का आरोप लगा दिया। भाजपा नेता तथागत राय भी इस मुद्दे पर वामो के साथ हैं। उन्होंने कहा कि पहले जिन स्थानों पर रैली करने की अनुमति थी उन स्थानों में परिवर्तन नहीं किया जाना चाहिए। एसयूसीआई के सोमेन बसु ने कहा कि वह राजनीतिक रैली पर किसी तरह की पाबंदी का विरोध करते हैं। वामफ्रंट के 15 पाडियरें में 12 को इस बैठक में आमंत्रित किया गया था जिसमें तीन पार्टियां नहीं आई थीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह लोगों की सुविधाओं को सर्वोपरि मानती हैं। किसी राजनीतिक दल को लोगों को परेशान कर रैली व सभा नहीं करनी चाहिए, लेकिन माकपा के लोग इस मुद्दे पर भी राजनीति कर रहे हैं। जबकि 35 वर्षो के उनके शासन की कारगुजारियां सामने हैं। उन्होंने कहा कि वह साढ़े तीन माह में चार बार सर्वदलीय बैठक बुला चुकी हैं जबकि माकपा 35 वर्षो के शासन में कभी इस तरह के सर्वदलीय बैठकें नहीं बुलाई। उन्होंने कहा कि कोलकाता में इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है। धर्मतल्ला में लाखों लोग आते हैं। आंदोलन व रैली से आम लोगों को दिक्कतें होती हैं। रानी रासमणि एवेन्यू के बजाय सुबोध मल्लिक स्क्वायर में रैली की इजाजत देने पर विचार किया जा रहा है
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