भाजपा को मरा सांप बताकर कल्याण सिंह ने भले ही दोस्ती या गठबंधन के लिए अपने दरवाजे बंद करने का एलान कर दिया हो, लेकिन संघ के दबाव में भाजपा उन्हें (कल्याण) मनाने की एक कोशिश और करने जा रही है। सिंह की तल्खी खत्म करने के लिए पार्टी पहले उनके एक बेहद करीबी को मध्यस्थ बनाएगी। उसके बाद नितिन गडकरी खुद कल्याण से बात करेंगे। भाजपा को कल्याण सिंह की पार्टी से गठबंधन पर कोई एतराज नहीं है। सूत्रों के मुताबिक, पिछले दिलों कल्याण सिंह ने भाजपा को लेकर जो तल्ख तेवर दिखाए, उसके मद्देनजर यह माना गया है कि अगले दौर की बातचीत शुरू होने से पहले उनकी तल्खी खत्म की जाए। इसके लिए तय हुआ है कि उनके किसी बेहद करीबी को मध्यस्थ बनाया जाए। हालांकि इस काम के लिए कुसुम राय का नाम चर्चा में है, लेकिन राय ने ऐसे किसी प्रयास की जानकारी से इंकार किया है। सूत्रों का कहना है कि भाजपा में कल्याण से दोस्ती के लिए इतनी बेताबी की दो वजह हैं। पहली वजह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ है। संघ उप्र में भाजपा की हर कीमत पर वापसी चाहता है और उसे यह स्वीकारने में गुरेज नहीं है कि कल्याण उप्र में एक ताकत है। 2002 के विस और 2009 के लोस चुनाव में उनकी पार्टी में न रहने की कीमत भाजपा को चुकानी पड़ी है। 2012 के चुनाव में संघ कोई चूक नहीं चाहता है,इसलिए उसका दबाव है कि कल्याण से बातचीत का सिलसिला जारी रखा जाए। दूसरी वजह यह है कि पार्टी के अंदर राष्ट्रीय स्तर पर राजनाथ सिंह की एंटी लाबी यूपी में राजनाथ को कांउटर करने के लिए कल्याण को वापस लाना चाहती है, जो कि राजनाथ के धुर विरोधी माने जाते हैं। ऐसे में राजनाथ की एंटी लाबी भी कल्याण का चैप्टर बंद होने नहीं देना चाहती है। यह संयोग ही है कि उप्र में भाजपा अध्यक्ष सूर्यप्रताप शाही कल्याण विरोधी नहीं है। कल्याण सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल में शाही शाही उनके प्रिय मंत्रियों में शुमार थे। कल्याण के भाजपा से बाहर रहने के दौरान शाही ने उनसे कभी अपने रिश्ते खराब नहीं किए। कल्याण उन्हें आज भी बहुत पसंद करते हैं और शाही भी उनका बहुत सम्मान करते हैं। कल्याण को लेकर यह जिद कतई नहीं है कि वह भाजपा में वापस ही आएं। भाजपा उनसे गठबंधन कर चुनाव लड़ने में ज्यादा फायदा देख रही है। ऐसे में तल्खी खत्म होने के बाद जब बातचीत होगी तो वह गठबंधन के एक निश्चित फार्मूले के साथ और वह बातचीत नितिन गडकरी भी कर सकती हैं। भाजपा कल्याण सिंह के लिए 30-35 सीटें देने को तैयार है लेकिन मध्यस्थ की बातचीत में क्या निकलता है, इसके बाद बहुत कुछ निर्भर करेगा
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