लखनऊ मुसलमानों और गरीब सवर्णो को आरक्षण की मांग करने के बाद उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लगातार तीसरे दिन चिट्ठी लिखी। तीसरे पत्र में माया ने प्रधानमंत्री से जाटों को अन्य पिछड़े वगरें की केन्द्रीय सूची में शामिल करने की मांग की है। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को भेज गये एक पत्र के जरिए प्रदेश के अन्य पिछड़े वगरें के उत्थान के सम्बन्ध में अपनी सरकार की प्रतिबद्धताओं की ओर उनका ध्यान आकृष्ट किया है। गौरतलब है कि शनिवार को मायावती ने आबादी के हिसाब से मुसलमानों को और रविवार को गरीब सवर्णो को आरक्षण देने की बात कर चुकी हैं। प्रधानमंत्री को लिखे तीसरे खत में मुख्यमंत्री ने जाटों के वोट बैंक को देखते हुए उनको केंद्र सरकार के अन्य पिछड़े वर्ग की सूची में शामिल करने की मांग की है। मालूम हो कि जाट इस मांग को लेकर सोमवार को भेजे गये अपने पत्र में मुख्यमंत्री ने लिखा है कि जाट जाति के व्यक्ति मुख्यत: कृषि एवं कृषि सम्बन्धित अन्य कायरें से जीविकोपार्जन करते हैं। प्रत्येक परिवार के लिए कृषि योग्य भूमि के कम हो जाने के कारण उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर है, इसके अतिरिक्त जाट जाति के व्यक्ति शैक्षणिक रूप से भी पिछड़े हुए हैं। इसे दृष्टिगत रखते हुए प्रदेश सरकार द्वारा 10 मार्च, 2000 द्वारा प्रदेश के अन्य पिछड़े वगरें की सूची में जाट जाति को सम्मिलित किया गया है। सरकारी प्रवक्ता के मुताबिक मुख्यमंत्री का दृढ़ अभिमत है कि जाट समुदाय की स्थिति में यदि परिवर्तन लाना है तो उन्हें शिक्षा, सेवायोजन तथा जीवन के अन्य सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ने के लिए अवसरों में वृद्धि सुलभ कराये जाने की नितान्त आवश्यकता है, जिस पर उनकी सरकार पूर्ण सहयोग के लिए प्रतिबद्ध है। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में मुख्यमंत्री ने कहा है कि राजस्थान के जाट समुदाय को (धौलपुर एवं भरतपुर जिला को छोड़कर) 1999 में केंद्र के अन्य पिछड़े वर्ग में शामिल किया गया है। राजस्थान उत्तर प्रदेश से सटा हुआ राज्य है और वहां के जाट और उप्र के जाट की सामाजिक एवं शैक्षणिक स्थिति लगभग एक जैसी है। इस आधार पर उत्तर प्रदेश की जाट जाति को भी केंद्र सरकार की अन्य पिछड़े वर्ग की सूची में शामिल किया जाना चाहिए
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