अहमदाबाद गुजरात में उपवास से शुरू हुई सियासत थमने का नाम नहीं ले रही है। मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ सत्याग्रह पर बैठे शंकर सिंह वाघेला ने मंगलवार को अनशन समाप्त कर दिया, लेकिन अब दोनों दिग्गज जनता दरबार तक अपनी बात पहुंचाने का खम ठोक रहे हैं। आसाराम आश्रम में संदिग्ध हालत में मारे गए दो मासूम बच्चों के माता-पिता भी आमरण अनशन पर बैठ गए हैं। आरोप है कि लालकृष्ण आडवाणी को पीएम बनाने के लिए उनके बच्चों की बलि दी गई। गुजरात दंगा मामले में देश की सर्वोच्च अदालत के ताजा फैसले के बाद गुजरात सरकार की ओर से सद्भावना मिशन शुरू किया गया जिसके तहत मुख्यमंत्री मोदी ने तीन दिन का सार्वजनिक उपवास रखा। मोदी के इस हाइप्रोफाइल फाइव स्टार उपवास की गूंज प्रदेश की राजनीति में भी अभी भी सुनाई दे रही है। मोदी के उपवास का खर्च विपक्ष के हर बयान के बाद बढता गया, पहले पांच करोड़, फिर चालीस, पचास व 55 करोड़ तथा मंगलवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अर्जुन मोढवादिया ने मोदी पर उपवास के नाम पर दो सौ करोड़ रुपये खर्च करने का आरोप जड़ दिया। गांधी आश्रम के सामने उपवास पर बैठे कांग्रेसी दिग्गज वाघेला ने एलान कर दिया है कि अब सरकार के साथ उनकी लड़ाई जनता दरबार में होगी। कांग्रेस की ओर से पूर्व निर्धारित 28 सितंबर को कच्छ तथा 30 सितंबर को पालनपुर में रैली के लिए कार्यकर्ताओं को कमर कसने का एलान भी कर दिया है। वाघेला तथा कांग्रेस अध्यक्ष अर्जुन मोढवाडिया ने मंगलवार को उपवास समाप्त करने के साथ ही सरकार के साथ युद्ध का भी एलान कर दिया है। वाघेला ने मोदी के उपवास को उपहास बताते हुए कहा कि उन्होंने जनता को सरकार की सगाई बताने के लिए ही यह अनशन किया था। भाजपा के वरिष्ठ नेता आडवाणी को लपेटते हुए वाघेला ने कहा कि उपवास को उत्सव की तरह मनाने के लिए शर्म आनी चाहिए थी। वाघेला ने यह भी आरोप लगाया कि मोदी के उपवास में लोगों को पकड़कर लाया गया जबकि उनके सत्याग्रह में सरकार से परेशान लोग स्वयंभू जुटे। वाघेला ने मोदी पर खुद की मार्केटिंग करने का आरोप लगाते हुए कहा कि आदिवासी इलाकों में लोग भूख के मारे पत्ते खाने को मजबूर हैं और सरकार गरीबों का धन बर्बाद कर रही है। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव एवं गुजरात कांग्रेस प्रभारी मोहनप्रकाश ने यहां तक कहा कि मोदी ने कॉरपोरेट दलालों को एकत्र कर पांच सितारा अनशन किया है। सरकार व उद्योगपति मिलकर जनता का धन लूट रहे हैं, मोदी में वास्तव में सद्भावना होती तो दंगा पीडि़तों के घर जाते अथवा हरेन पंड्या के परिजनों से मिलकर उनके दुख में भागीदार बनते। मोहनजी ने मोदी पर राजग तथा भाजपा की सद्भावना बिगाड़ने का आरोप लगाते हुए कहा कि यहां आए भाजपा नेता ऊपर से भले हंस रहे हों, लेकिन भीतर उनकी आत्मा रो रही थी। संघ विचारधारा पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि इन्होंने पहले गांधीजी को मारा तथा अब गुजरात में उनकी विचारधारा को खत्म कर रहे हैं। उधर, नेता विपक्ष शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि मोदी को पीएम के लिए प्रोजेक्ट करना था तो उपवास का खर्च भाजपा को उठाना चाहिए था। गोहिल ने भाजपा सांसद नवजोत सिंह सिद्धू को एक कॉमेडियन बताते हुए कहा कि उपवास स्थल से जब सिद्धू गुजरात का अपमान कर रहे थे तब उनको रोकने कोई आगे क्यों नहीं आया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोढवाडिया ने भी भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी पर हमला बोला और कहा कि उनके गांधीनगर से चुने जाने पर शर्म आती है। मोदी ने 72 घंटे का अनशन का एलान कर 56 घंटे में ही तोड़। अब बाकी का उपवास आडवाणी को करना चाहिए। साथ ही मोढवाडिया ने मोदी के उपवास पर हुए खर्च पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जब उनके भूखे रहने का खर्च दो सौ करोड़ आता है तो खाने का खर्च क्या आएगा
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