Friday, November 25, 2011

रिटेल में एफडीआई लाने के खिलाफ हैं भाजपा-माकपा


भाजपा और माकपा ने कहा कि वह रिटेल क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) लाने के खिलाफ है और जरूरत पड़ने पर संसद के अंदर और बाहर इस मुद्दे पर वे विरोध दर्ज करेंगे। जबकि यूपीए के घटक दल तृणमूल कांग्रेस ने इस विषय पर हालांकि कोई भी निर्णय लेने से पहले सभी पक्षों की राय लेने की मांग की है। राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने बृहस्पतिवार को यहां संवाददाताओं से कहा कि मल्टीब्रांड रिटेल क्षेत्र में एफडीआई लाने का सरकार का कदम देश में रोजगार और उत्पादन पर नकारात्मक असर डालेगा। उन्होंने विपक्ष से परामर्श किए बिना इस बाबत कैबिनेट नोट जारी किए जाने पर सरकार की निंदा करते हुए कहा कि अगर सरकार ने विपक्ष से इस विषय पर चर्चा की होती तो उचित होता। हालांकि भाजपा नेता ने स्पष्ट किया कि भाजपा प्रत्येक क्षेत्र में एफडीआई के विरोध में नहीं है और विमानन क्षेत्र में 26 प्रतिशत एफडीआई की खबरों पर उन्होंने कहा कि पार्टी विचार करके बाद में अपना रुख स्पष्ट करेगी। जेटली ने लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज के साथ जारी संयुक्त वक्तव्य में कहा कि भारत की जीडीपी में 58 प्रतिशत योगदान सेवा क्षेत्र (सर्विस सेक्टर) का है जिसके बड़े हिस्से में भारत की रिटेल श्रृंखला भी आती है। जेटली ने कहा कि भारत की जनसंख्या का अधिकतर हिस्सा स्वरोजगार पर आधारित है और एफडीआई से घरेलू खुदरा क्षेत्र पर नकारात्मक असर पड़ेगा जो विकास कर रहा है। उन्होंने दलील दी कि खुदरा बाजार के बिखरे होने से उपभोक्ता के पास अधिक अवसर होते हैं लेकिन मल्टीब्रांड रिटेल में एफडीआई लाने से कुछ बड़े प्लेयरों के हाथ में बाजार होगा और ऐसी स्थिति में 2-3 दशक बाद तो आम उपभोक्ता के पास पसंद के विकल्प ही नहीं होंगे। जेटली ने कहा कि सरकार की यह दलील भी स्वीकार्य नहीं लगती कि कृषि क्षेत्र और किसानों की मदद के लिए आपूर्ति श्रंखला की जरूरत है। उन्होंने कहा कि किसानों के उत्पादों को सीधे उपभोक्ता तक पहुंचाने में बुनियादी ढांचे मसलन सड़क, बिजली आदि में अंतरराष्ट्रीय खुदरा व्यापारियों की कोई भूमिका नहीं होगी। उन्हें भंडारण क्षमताएं और शीतगृह की जरूरत होगी। यह काम केंद्र और राज्य सरकारें भी कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि सरकार चीन का उदाहरण दे रही है जो गलत है क्योंकि चीन स्वयं बड़ी निर्माण आधारित अर्थव्यवस्था है जबकि भारत को यह लाभ नहीं मिल सकता। माकपा के वरिष्ठ नेता वासुदेव आचार्य ने भी एफडीआई का विरोध करते हुए कहा , ‘ऐसी खबरें हैं कि खुदरा क्षेत्र में बहु ब्रांड में 51 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को मंजूरी दी जाएगी। हम इसका पुरजोर विरोध करते हैं क्योंकि इसके कारण देश के 4.5 करोड़ छोटे खुदरा कारोबारी बुरी तरह से प्रभावित होंगे।उन्होंने दावा किया कि संप्रग के पहले कार्यकाल के दौरान वामदलों के विरोध के कारण ही खुदरा क्षेत्र में बहु ब्रांड में एफडीआई का प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ सका। तृणमूल सभी पक्षों की राय लेने के पक्ष में : एफडीआई को मंजूरी देने के प्रस्ताव पर कांग्रेस नीत संप्रग के महत्वपूर्ण घटक तृणमूल कांग्रेस ने इस विषय पर कोई भी निर्णय लेने से पहले सभी पक्षों की राय लेने की मांग की। संसद भवन परिसर में तृणमूल नेता और रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने मीडिया से कहा, ‘सरकार में पार्टी का मैं एकमात्र कैबिनेट मंत्री हूं और कैबिनेट की बातें गोपनीय होती हैं लेकिन जहां तक पार्टी का प्रश्न है, ममता बनर्जी का प्रश्न है-हमारी स्थिति स्पष्ट है। हमें ऐसा कोई भी निर्णय लेने से पहले किसानों के हितों को ध्यान में रखना चाहिए।
उन्होंने कहा कि ऐसे समय जब किसानों को फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य ठीक ढंग से नहीं मिल पा रहा है, उस समय ऐसे किसी विषय को उठाना ठीक नहीं है। अखिलेश ने कहा, किसानों, मंडियों को मजबूत बनाओ : सपा सांसद अखिलेश यादव ने कहा कि पहले देश के किसानों को सशक्त बनाने की जरूरत है। इस दिशा में सरकार को चाहिए कि वह व्यापारियों और किसानों के हितों को ध्यान रखते हुए अपनी मंडियों को प्रभावी तथा मजबूत बनाए। किसान अपनी उपज का सही मूल्य पाने के लिए सीधे तौर पर मंडियों की ओर रुख करता है और वहां यदि उसकी उपज का सही मूल्य मिल जाएगा तो किसान और व्यापारी दोनों का ही हित होगा। विदेशी प्रत्यक्ष निवेश से किसानों और व्यापारियों का व्यापक लाभ नहीं होने वाला है।

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