Friday, December 2, 2011

पीएम को जवाबी चिट्ठी में मुस्लिम आरक्षण भूलीं माया


यूपी के आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर मुस्लिम आरक्षण पर केंद्र को चिट्ठी लिखने वाली मुख्यमंत्री मायावती ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की जवाबी चिट्ठी के जवाब के बाद उन्हें एक और पत्र लिखा है। हालांकि मायावती ने अपने इस पत्र में बसपा और राज्य सरकार के मुस्लिमों का सबसे बड़ा खैरख्वाह होने का दावा तो किया पर उन्हें आरक्षण दिए जाने संबंधी अपनी पूर्व की मांग का जिक्र तक नहीं किया। मुख्यमंत्री मायावती ने 14 सितंबर को प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर मुस्लिमों के लिए आबादी के आधार पर आरक्षण की मांग की थी, जिस पर मनमोहन सिंह ने 24 अक्टूबर को भेजे जवाबी पत्र में कहा, वह (मायावती) चाहें तो कर्नाटक, केरल व आंध्र प्रदेश की तर्ज पर यूपी में मुस्लिमों को आरक्षण दे सकती हैं। मायावती ने इस पत्र के जवाब में पीएम को एक और पत्र लिखा, जिसमें इस राय पर कुछ नहीं कहा, लेकिन मुस्लिम की बदहाली का ठीकरा केंद्र सरकार पर फोड़ते हुए यह जरूर लिखा कि उनकी सरकार अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए अत्यंत संवेदनशील तथा कटिबद्ध है। मुख्यमंत्री ने 24 नवंबर को लिखे पत्र में कहा है कि केंद्र से अपेक्षित सहयोग न मिलने से राज्य सरकार को अल्पसंख्यकों के लिए शुरू की गई कई योजनाओं के संचालन में कठिनाई आ रही है। अति पिछड़े वर्ग, जिसमें मुस्लिम वर्ग के अति पिछड़े भी शामिल हैं, के छात्रों की छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति में राज्य सरकार ने 5286.63 करोड़ रुपये खर्च किये हैं। इस धनराशि में केन्द्रांश के रूप में 3372.14 करोड़ की धनराशि प्राप्त होनी थी, लेकिन राज्य को अभी तक सिर्फ 346.18 करोड़ रुपये ही मिले हैं। केंद्र सरकार को इस धनराशि को शीघ्र अवमुक्त करना चाहिए। पत्र में कहा गया है कि प्रदेश में बसपा सरकार ने 1995 से ही अन्य पिछड़े वर्गो के लिए लोक सेवाओं में आरक्षण व्यवस्था के तहत मुस्लिम समुदाय के पिछड़े वगरें को जाति प्रमाण पत्र देने की व्यवस्था की। इतना ही नहीं 38 जातियों/ उपजातियों को अन्य पिछड़े वर्ग की सूची में सम्मिलित करके उन्हें आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है। हाल ही में प्रदेश में कांशीराम उर्दू, अरबी-फारसी विवि की स्थापना भी की गई है। अल्पसंख्यक समुदाय की आलिम (इंटरमीडिएट) में पढ़ने वाली बालिकाओं को 25 हजार रुपये एवं नि:शुल्क साइकिल देने की व्यवस्था की गयी है। माया ने पत्र में आगे लिखा है कि राज्य सरकार द्वारा पारित उत्तर प्रदेश राज्य अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थान प्राधिकरण विधेयक- 2011 भी मंजूरी के लिए केंद्र के पास लंबित है।

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