Monday, October 3, 2011

पशु ही जी सकते हैं 32 रुपए रोजाना पर : एनएसी सदस्य


राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) ने गरीबी रेखा के नीचे (बीपीएल) जीवन यापन करने वालों की संख्या निर्धारित करने के लिए योजना आयोग के मानदंड की आलोचना की है। एनएसी के सदस्य एनसी सक्सेना ने कहा कि कोई भी व्यक्ति 32 रुपया प्रतिदिन पर गुजारा नहीं कर सकता। सक्सेना ने कहा, ‘32 रुपए रोजाना पर आपको पता है कि केवल कुत्ते और पशु ही जी सकते हैं।मानदंड की व्यापक स्तर पर हो रही आलोचना को देखते हुए आयोग हलफनामे पर फिर से विचार कर सकता है। सरकार ने संकेत दिया है कि आयोग अपना हलफनामा बदल सकता है। इस हलफनामे में कहा गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिदिन 25 रुपए से अधिक तथा शहरी क्षेत्रों में 32 रुपए से अधिक रोजाना खर्च करने वाले बीपीएल दायरे में नहीं आते। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) के कई सदस्यों ने गरीबी रेखा की नई परिभाषा को घटियाकरार देते हुए इसे खारिज कर दिया है। सक्सेना ने कहा कि देश में जहां 80 प्रतिशत आबादी गरीब है, सरकार को उन्हें लाभ पहुंचाना चाहिए तथा बीपीएल निर्धारण के लिए 32 रुपए के विचार से असहमति जताना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘जो लोग 32 रुपया रोजाना खर्च करते हैं, वह समाज के सबसे गरीब हैं। आप उन्हें दीन-हीन कह सकते हैं, आप उन्हें लोगों की ऐसी श्रेणी में रख सकते हैं जो अमानवीय जीवन जा रहे हैं।गरीबों को बीपीएल लाभ देने का समर्थन करते हुए एनसी सक्सेना ने कहा कि सरकार को गरीबी रेखा की परिभाषा पर फिर से विचार करना चाहिए। अहलूवालिया को लिखे खुले पत्र में एनएसी की सदस्य तथा सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा राय तथा हर्ष मंदर ने हलफनामा पर सवाल उठाया है। यह भी खबर है कि कांग्रेस के महासचिव राहुल गांधी ने योजना आयोग के उपाध्यक्ष अहलूवालिया को हलफनामा बदलने की सलाह दी है। पूर्व केंद्रीय मंत्री तथा प्रख्यात अर्थशास्त्री वाईके अलघ ने कहा कि गरीबी रेखा 1997 में विकसित की गई थी और मौजूदा समय में इसकी कोई प्रासंगिकता नहीं है। उन्होंने कहा, ‘उस समय हमारा जोर लोगों को भोजन उपलब्ध कराने पर था लेकिन अभी आकांक्षाएं काफी ऊंची है। इसीलिए मैं तेंदुलकर समिति की रिपोर्ट पर आधारित गरीबी रेखा के निर्धारण का आलोचक रहा हूं।
आलोचना राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के सदस्य एनसी सक्सेना ने योजना आयोग के गरीबी के आकलन की कड़ी आलोचना की सरकार ने दिए हलफनामा में बदलाव के संकेत

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