तिरुमला, एजेंसी : संसद का मानसून सत्र हंगामे की भेंट चढ़ने पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि विभिन्न राजनीतिक दलों को ऐसी व्यवस्था पर विचार करना चाहिए जिससे संसद का सुचारू रूप से संचालन सुनिश्चित हो सके। मध्यावधि चुनाव की संभावनाओं पर उन्होंने कहा, समय पूर्व लोकसभा चुनाव राजनेताओं और राजनीतिक दलों के रुख पर निर्भर करता है। इस बारे में मैं क्या सोचता हूं, यह सवाल बेमानी है। कोयला ब्लॉक आवंटन में घोटाले को लेकर प्रमुख विपक्षी दल भाजपा ने मानसून सत्र में कोई कामकाज नहीं होने दिया। प्रणब ने याद दिलाया कि इससे पहले 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करने की मांग को लेकर भी संसद का एक पूरा सत्र नहीं चल पाया था। उन्होंने कहा, संसद का हर सत्र महत्वपूर्ण होता है और अंतिम सत्र भी ऐसा ही था। राष्ट्रपति प्रणब ने रविवार को यहां तिरुपति बालाजी के नाम से मशहूर वेंकटेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना की। लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाने के भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी के सुझाव पर प्रणब ने कहा, सभी राजनीतिक दलों को इस पर निर्णय लेना है क्योंकि विभिन्न राज्यों में विभिन्न दलों की सरकारें हैं। हालांकि इस कवायद की राह की अड़चनें गिनाते हुए राष्ट्रपति ने कहा, संविधान के मुताबिक राज्य सरकार गिरने पर छह माह के भीतर चुनाव कराने पड़ते हैं या राष्ट्रपति शासन भी एक साल से ज्यादा बढ़ाया नहीं जा सकता। इसलिए संविधान के भीतर ही हमें इस विकल्प की राह खोजनी पड़ेगी। अगर चुनाव पद्धति में बदलाव होता है तो इसके लिए संविधान में संशोधन करना पड़ेगा और यह एक पार्टी के बलबूते संभव नहीं है। इसके लिए सभी राजनीतिक दलों को विचार करके किसी नतीजे पर पहुंचना होगा।
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