ठ्ठ जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले राजग के अंदर खटास की आशंका गहराने लगी हैं। पिछले चुनावों की तरह इस बार भी जदयू और शिवसेना ने राज्य में अलग चुनाव लड़ने का एलान किया है। जबकि बिहार में जदयू और भाजपा गठबंधन की सरकार है। साथ ही महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना लंबे समय से साथ चुनाव लड़ते रहे हैं। गुजरात में 182 विस सीटों के लिए साल के अंत में चुनाव होने हैं। गुजरात में जदयू ने बड़े पैमाने पर चुनाव लड़ने का मन बनाया है। खासतौर पर अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों में उसका सघन प्रचार अभियान भी होगा। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने सोमवार को कहा, राज्य में जदयू भाजपा से अलग चुनाव लड़ती रही है। इस बार भी हम अलग चुनाव लड़ेंगे। बाल ठाकरे द्वारा प्रधानमंत्री पद के लिए सुषमा स्वराज को पहली पसंद बताने पर उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि प्रधानमंत्री का पद पकौड़ी हो गया है। वरिष्ठ भाजपा नेता अरुण जेटली ने भी कहा है कि प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी का फैसला चुनाव के वक्त किया जाएगा। बहरहाल, जदयू का रुख सामने आने के बाद अब सबकी नजर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर रहेगी। अगर वह पार्टी का प्रचार करने गुजरात गए तो दोनों दलों के बीच की दरार बढ़ सकती है। गौरतलब है कि पिछले दिनों नीतीश और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के संबंधों में काफी खटास रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में नीतीश ने भाजपा पर दबाव बनाकर मोदी को बिहार में चुनाव प्रचार के लिए आने से रोक दिया था। शिवसेना ने भी सोमवार को एलान किया कि वह भाजपा शासित गुजरात में चुनाव मैदान में उतरेगी। पार्टी प्रवक्ता संजय राउत ने मुंबई में कहा, हम आगामी विधानसभा चुनाव में उतरने की तैयारियां कर रहे हैं। राउत ने हालांकि यह नहीं बताया कि शिवसेना गुजरात में कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
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