Wednesday, March 14, 2012

राहुल-अखिलेश की मेहनत का नतीजा आज


उत्तर प्रदेश में 22 साल सत्ता वापसी के लिए प्रयासरत कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी और एक बार फिर से अपने पिता को मुख्यमंत्री देखने का सपना सजोने वाले सपा प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव की मेहनत का फैसला मंगलवार को होगा। वोटों की गिनती मंगलवार को सुबह आठ बजे से शुरू होगी और दोपहर तक नतीजे आने की संभावना है। इस बार के चुनाव में 403 सीटों की नुमाइंदगी का फैसला 6839 उम्मीदवारों में होगा। इनमें कई बड़े सूरमा भी हैं। पहला नतीजा 11 बजे तक आ जाने की संभावना है। अनुमान है कानपुर की आर्यनगर सीट का परिणाम सबसे पहले आएगा। वहां सबसे कम मतदान केंद्र हैं। 24 दिसंबर को 16वीं विधानसभा के लिए चुनाव कार्यक्रम घोषित होने के साथ शुरू चुनावी गहमा-गहमी तीन मार्च को अंतिम चरण के मतदान के बाद भले थम गई हो लेकिन नतीजों को लेकर उत्सुकता अब शबाब पर है। रिकार्ड मतदान से अप्रत्याशित नतीजों के कयास लगाए जा रहे हैं। लाख टके का सवाल फिजा में यही तैर रहा है कि किसकी सरकार बनेगी। एक्जिट पोल में किसी को भी दल को स्पष्ट बहुमत न मिलने की बात आने से जोड़-तोड़ की संभावना को बल मिला है। इस बीच नेताओं के बीच जुबानी जंग बढ़ गई है। नतीजे आने से पहले ही केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा ने कांग्रेस-रालोद व बसपा गठबंधन की वकालत कर यूपी की राजनीति में नए विकल्प की संभावना जगा दी है। वर्मा इस पर अड़े हैं कि स्पष्ट बहुमत न मिलने की स्थिति में वह सपा की सरकार नहीं बनने देंगे तो उधर सपा नेताओं ने भी बेनी प्रसाद वर्मा को खूब खरी-खोटी सुनाई। अखिलेश ने उन्हें कांग्रेस में उधार का कमांडर करार दिया जोकि अपनी हार सुनिश्चित जानकर अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं। राजनीतिक हलकों में स्पष्ट बहुमत न मिलने की स्थिति में अलग-अलग तरह के विकल्पों की चर्चा हो रही है। प्रमुख विकल्प के रूप में सपा-कांग्रेस व रालोद गठबंधन के कयास लग रहे हैं। कहा जा रहा है कि भले ही अभी दोनों दल एक दूसरे को नकार रहे हों लेकिन सत्ता तक पहुंचने के लिए साम्प्रदायिक ताकतों को परास्त करने के नाम पर हाथ मिला सकते हैं। एक विकल्प यह भी जताया जा रहा है कि अगर समाजवादी पार्टी को ज्यादा विधायकों की जरूरत नहीं पड़ी तो रालोद और अन्य छोटे दलों के साथ सपा सरकार बना सकती है। तीसरे विकल्प में बसपा-कांग्रेस-रालोद की चर्चा है। चौथा विकल्प जो चर्चा में है वह बसपा-रालोद और छोटे दलों का है। भाजपा भले ही बार-बार दोहराया रही है कि बसपा के साथ उसका कोई समझौता नहीं होगा पर बसपा-भाजपा गठबंधन की भी खूब चर्चा है। सभी चैनलों के एक्जिट पोल में नंबर एक सपा में उत्साह का माहौल है। वैसे तो पार्टी के लोग आन रिकार्ड स्वीकार करने को तैयार नहीं है कि उसे स्पष्ट बहुमत नहीं मिल रहा है लेकिन आफ द रिकार्ड वो लोग यह कह रहे हैं कि अगर स्पष्ट बहुमत नहीं भी मिलता है तो भी उन्हें जरूरी समर्थन जुटाने में कोई मुश्किल नहीं आएगी। समर्थन किससे लिया जाएगा, यह इस पर निर्भर है कि समर्थन के लिए उसे कितने विधायकों की जरूरत पड़ती है। सपा प्रमुख मुलायम सिंह व अखिलेश यादव सोमवार को लखनऊ में ही थे। उनकी मीडिया के लोगों से जब-जब भी बात हुई, उनसे यही सवाल हुआ कि स्पष्ट बहुमत न आने की स्थिति में क्या कांग्रेस से समर्थन लिया जा सकता है, दोनो नेताओं ने कहा उन्हें पूरा विश्वास है कि सपा को स्पष्ट बहुमत मिल रहा है। मुलायम ने कहा, अब जब नतीजे आने में कुछ ही घंटे का रह गए हैं तो कयासबाजी करने का कोई औचित्य नहीं है। सपा और कांग्रेस में इस बार मुस्लिम मतों की मारामारी रही है। परिणाम से साबित हो जाएगा कि सूबे के मुस्लिम ने सियासी रूप से किसका साथ दिया है। बसपा की सोशल इंजीनियरिंग इस बार शुरू से ही छितराई नजर आई है। चुनाव से पहले मायावती के बीस से अधिक मंत्रियों और सौ से अधिक विधायकों का टिकट काटने का फार्मूला कितना असरदार होता है, यह भी देखने की बात होगी। इसके अलावा सुशासन के राग के साथ उतरी भाजपा की पिछड़ों को साथ जोड़ने व बाबू सिंह कुशवाहा के खतरों को नजरअंदाज करने के रणनीतिक फैसले की मीमांसा भी होगी। कांग्रेस ने यूपी के इस समर में बड़ी उम्मीदें पाली हैं। उसके मुस्लिम आरक्षण कार्ड, रालोद से गठबंधन और बाहरी उम्मीदवारों पर भरोसा जताने के निर्णय पर जनता का क्या रुख रहा, परिणाम यह भी साबित कर देंगे।

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