Wednesday, March 14, 2012

विपक्ष में बैठने को तैयार भाजपा-कांग्रेस


उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब,मणिपुर और गोवा में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजे मंगलवार दोपहर तक देश-दुनिया के सामने होंगे। चार राज्यों में कांग्रेस-भाजपा में सीधी भिड़ंत है,जबकि राजनीतिक रूप से सबसे अहम उत्तर प्रदेश में दोनों राष्ट्रीय दलों को बसपा और सपा से भी पार पाना है। नतीजे तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन एक्जिट पोल द्वारा उत्तर प्रदेश की 16 वीं विधानसभा के त्रिशंकु होने की तस्वीर दिखा कर गठजोड़ की कयासबाजी चरम पर पहुंचा दी है। विभिन्न दलों के नेताओं में तेज होती जुबानी जंग के बीच कांग्रेस और भाजपा ने दो टूक कह दिया है कि बहुमत न मिला तो विपक्ष में बैठेंगे। राष्ट्रीय दलों के इन तेवरों ने सरकार गठन की राह को पेचीदा बना दिया है। कांग्रेस व भाजपा का भविष्य इन चुनाव नतीजों पर टिका है, क्योंकि इनका असर केंद्र सरकार से लेकर राष्ट्रपति चुनाव तक होना है। इससे भी इंकार नहीं कि ये नतीजे 2014 लोकसभा चुनाव के संकेत हैं। बीते वर्षो में केंद्रीय राजनीति में हैसियत रखने वाली सपा और बसपा का अस्तित्व इसी पर टिका है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा की 690 विधानसभा सीटों का नतीजा यूं तो राज्य की सत्ता तय करेगा। वक्त कुछ ऐसा है इसका असर दूरगामी होगा। इन पांच राज्यों से लोकसभा में 102 और राज्यसभा में 43 सांसद चुनकर आते हैं। अकेले उत्तर प्रदेश से लोकसभा में 80 और राज्यसभा में 31 सांसद आते हैं जो केंद्र की राजनीतिक दिशा तय करने की क्षमता रखता है। यही कारण है कि बाकी चार राज्यों में जहां कांग्रेस और भाजपा की सीधी लड़ाई है और उनकी राजनीतिक सेहत टिकी है वहीं यूपी को लेकर बेचैनी है। माना जा सकता है कि कांग्रेस और भाजपा के भी राजनीतिक एजेंडे में सबसे ऊपर यूपी ही है। कभी राज्य में सत्ता की कमान संभालने वाली कांग्रेस और भाजपा फिलहाल अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन तलाशने में जुटी है। उन्हें इसका अहसास है कि उत्तर प्रदेश की जमीन दुरुस्त हुई तभी आगे की लड़ाई जीती जा सकती है। बसपा व सपा को भी इल्म है कि कांग्रेस और भाजपा मजबूत हुए तो उनके लिए खतरा है। कांग्रेसी नेता और केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा ने नतीजे आने से पहले ही कांग्रेस- रालोद व बसपा गठबंधन की वकालत कर यूपी में नए विकल्प की संभावना जगा दी है। वर्मा अड़े हैं कि स्पष्ट बहुमत न मिलने की स्थिति में वह सपा की सरकार नहीं बनने देंगे। वहीं, कांग्रेस महासचिव और मीडिया प्रकोष्ठ के चेयरमैन जनार्दन द्विवेदी ने गठजोड़ के कयासों को सिरे से खारिज करते हुए कहा, बहुमत न मिलने पर पार्टी किसी भी दल से गठजोड़ नहीं करेगी, बल्कि विपक्ष में बैठेगी। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, बेनी प्रसाद वर्मा के विचार उनके निजी विचार हैं, पार्टी इस मुद्दे पर अपना रुख कतई नहीं बदलेगी। भाजपा में गठजोड़ के मुद्दे पर दो वर्ग हैं। एक बसपा से गठजोड़ चाहता है तो दूसरा विपक्ष में बैठने की ढपली बजा रहा है। पूर्व भाजपा सांसद संघप्रिय गौतम का कहना है कि बसपा से गठजोड़ का विकल्प खुला है। उनका तर्क है कि यूपी में बसपा की मदद करनी चाहिए, क्योंकि उत्तराखंड और पंजाब में बसपा की मदद की दरकार होगी। इस बयान के कुछ ही देर बाद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही ने कहा, बहुमत मिला तो सरकार बनाएंगे, वर्ना विपक्ष में बैठेंगे। गठजोड़ को लेकर जारी कयासबाजी पर लोकसभा में पार्टी की नेता सुषमा स्वराज ने विराम लगाया। उन्होंने कहा, भाजपा उत्तर प्रदेश में सरकार गठन के लिए किसी भी दल के साथ समझौैता करने नहीं जा रही। हमारी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष इस बारे में बिल्कुल स्पष्ट कह चुके हैं कि या तो हम सरकार बनाएंगे या फिर विपक्ष में बैठेंगे। दरअसल यूपी के चुनावी नतीजे केंद्र की राजनीति पर भी असर डालेंगे। इसी साल जुलाई में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिहाज से भी नतीजों पर सबकी और खासकर कांग्रेस की निगाहें टिकी होंगी। अप्रैल माह में राज्यसभा से 58 सांसद रिटायर कर रहे हैं। इनमें से 10 यूपी से हैं। जाहिर है कि विधानसभा में जिसकी ताकत बढ़ी केंद्र में भी उसकी अहमियत बढ़ेगी। कांग्रेस की ताकत केंद्र वहां कमजोर है लोकपाल समेत कई दूसरे विधेयकों को पेश करते वक्त सरकार को यह कमी कचोटती रही है। परेशानी यह भी है कि केंद्र में कांग्रेस को समर्थन दे रहे राजद के दो राज्यसभा सांसदों की जगह इस बार बिहार से राजग के सांसद चुनकर आने तय हैं। उत्तराखंड से आए सत्यव्रत भी अप्रैल में रिटायर हो रहे हैं। राज्य में सरकार बनी तभी कांग्रेस के लिए फिर से अपने उम्मीदवार जिताना संभव होगा। भाजपा की मुश्किलें भी कम नहीं हैं। उत्तराखंड और पंजाब की बागडोर गई तो नीतिगत मुद्दों पर केंद्र के साथ लड़ाई में उनकी स्थिति कमजोर होगी। वहीं साल के अंत तक भाजपा को गुजरात और हिमाचल प्रदेश में अपनी सत्ता बचाने के लिए भी जूझना होगा। 

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