उत्तर प्रदेश विधान मण्डल के दोनों सदनों में विपक्ष के भारी शोरशराबे और हंगामे के बीच सरकार ने न केवल वर्ष 2012-2013 के लिए एक लाख 91 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के अंतरिम बजट व 70733 करोड़ रूपये से ज्यादा के लेखानुदान विधेयक को पारित करा लिया बल्कि प्रदेश के चार भागों में बांटे जाने के महत्पूर्ण प्रस्ताव को भी सदन की मंजूरी दिलाने में कामयाबी पा ली। बिखराव के चलते एक बार फिर विधानसभा में विपक्ष की रणनीति जमींदोज हो गयी और मात्र 16 मिनट चली कार्यवाही में विधायी कायरे को अंजाम दे सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गयी। इतना ही नहीं मात्र एक दिन का सत्र इतिहास में भी दर्ज हो गया । दो दिवसीय सत्र का सोमवार को पहला दिन था जिसकी शुरुआत भारी शोर-शराबे, हंगामे और सरकार विरोधी नारों की गूंज से हुई। वन्देमातरम गान के तुरंत बाद विपक्षी सदस्यों ने पहले अपने स्थानों, फिर सपा और भाजपा के सदस्यों ने सदन के फर्श पर आकर अल्पमत की सरकार को बर्खास्त करने की पुरजोर तरीके से मांग उठायी। अपनी घोषित रणनीति के तहत मुख्य विरोधी दल समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी सदन में सरकार के खिलाफ अविास प्रस्ताव लाना चाहती थी पर विधानसभा अध्यक्ष सुखदेव राजभर ने इसकी मंजूरी नहीं दी। सपा और भाजपा के सदस्य पीठ से अनुमति न मिलने पर आक्रोशित हो उठे और पीठ की ओर बढ़ने लगे पर गार्ड के सख्त सुरक्षा घेरे को वे लांघ नहीं पाये। कुछ सदस्यों ने मेजों पर चढ़ कर पोस्टर भी लहराये जिन पर सरकार विरोधी नारे और अल्पमत की सरकार को बर्खास्त करने की मांग लिखी थी। हंगामे के बीच विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही पूरे प्रश्नकाल के लिए स्थगित कर दी। तकरीबन एक घंटा 16 मिनट के स्थगन के बाद सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई तो विपक्ष के सदस्य फिर अपने स्थानों पर खड़े हो हंगामा करने लगे। विधानसभा अध्यक्ष ने कार्यसूची के अनुरूप कार्यवाही चलने देने की अपील करते हुए सदस्यों से शांत होने कर्ी
अपील की पर जब शोर शराबा और हंगामा कम नहीं हुआ तो उन्होंने संसदीय कार्य मंत्री लालजी वर्मा से तय समय पर अनुपूरक बजट प्रस्तुत करने के निर्देश दिये। हंगामे के बीच वित्तीय वर्ष 2012-2013 का एक लाख 91 हजार 825 करोड़ 70,733 करोड़ रूपये अनुपूरक बजट व लेखानुदान पारित करा लिये गये। इस बीच स्थगन के बाद दोबारा कार्यवाही शुरू हुई तो सदन में मुख्यमंत्री सुश्री मायावती भी मौजूद थीं जिन्होंने अनुपूरक बजट और लेखानुदान के पारित होने के तुरंत बाद राज्य को चार भागों बांटने संबंधी प्रस्ताव अचानक सदन के पटल पर रख दिया जिसे हंगामे और शराबे के इसी माहौल में ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गयी। संसदीय कार्य मंत्री ने अध्यक्ष की अनुमति से सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने संबंधी प्रस्ताव पेश किया जिसे भी ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गयी। सदन में सरकार को घेरने की भारी तैयारी करके आये विपक्ष के बिखराव का सत्ता पक्ष ने एक बार फिर लाभ उठाया। सपा और भाजपा जहां सरकार के खिलाफ अपने अपने अविास प्रस्ताव को पेश करने में नाकाम रहीं तो कांग्रेस भी प्रदेश को विभाजन कर छोटे-छोटे राज्यों के गठन के प्रस्ताव को पटल पर नहीं रख सकी। दूसरी ओर भोजनावकाश के बाद विधान परिषद की कार्यवाही शुरू होने पर अनुपूरक बजट और प्रदेश के विभाजन का प्रस्ताव पास कराने का जैसे ही प्रयास हुआ विपक्षी सदस्य हंगामा करने लगे और इस हंगामे के दौरान ही दोनों मामले पास कराने के साथ ही सदन की कार्रवाई अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गयी। सदन की बैठक भी मात्र 10-12 मिनट ही चल सकी। |
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