जन लोकपाल बिल के लिए अन्ना हजारे के आंदोलन के समथर्न में लोग सिर्फ सड़कों पर ही नहीं उतरे, जमकर दान भी दिया। अप्रैल में जंतर-मंतर पर पहली बार के अनशन से सितंबर तक छह महीने के दौरान कुल 2,94,54,776 रुपये का चंदा मिला। जंतर-मंतर के अनशन के बाद से चार लाख से ज्यादा बड़ी रकम किसी से नहीं मिली है। टीम अन्ना ने पिछड़े डेढ़ माह से चंदा लेना बंद कर दिया है। अन्ना हजारे के आंदोलन के सारे जमा-खर्च का हिसाब तैयार कर लिया गया है। आम तौर पर खातों का ऑडिट एक साल में होता है, लेकिन सोमवार को ही छह महीने की अवधि के लिए विशेष ऑडिट पूरा कर लिया गया है। मंगलवार को टीम अन्ना इसे सार्वजनिक करने जा रही है। दैनिक जागरण के पास मौजूद इस पूरे ब्योरे के मुताबिक इस दौरान कुल 2,94,54,776 रुपये लोगों ने भेजे। छह माह के दौरान इनमें से कुल 1.57 करोड़ खर्च हुआ है। सबसे ज्यादा 52 लाख रुपए जनसभाओं पर खर्च हुए। इसमें जंतर-मंतर, राजघाट और रामलीला मैदान सहित सभी जन सभाएं शामिल हैं। इस दौरान लगतार किए जाते रहे एसएमस और मिस्ड काल के जरिए समर्थन दर्ज करवाने की सेवा पर पर 45.5 लाख रुपये खर्च हुए। टीम अन्ना को मिली रकम में से 1.16 करोड़ रामलीला मैदान में एक सप्ताह तक चले अन्ना के अनशन के दौरान ही मिल गए। यहां कुल 25.5 हजार रसीदें जारी की गई। इनमें एक हजार रुपये से कम का सहयोग करने वाले 23 हजार से ज्यादा लोग थे। इनमें 400 लोग हैं जिन्होंने दस हजार से ऊपर की रकम का सहयोग किया। रामलीला मैदान के अनशन के दौरान और उसके बाद से दिए गए चंदे में सबसे बड़ा सहयोग चार लाख रुपये का है। एक अप्रैल से 30 सितंबर तक मिली इस रकम में से 42.5 लाख इसलिए लौटाए जा रहे हैं, क्योंकि यह रकम लोगों ने अपने खातों से ऑनलाइन भेज दी थी। इसमें भेजने वालों का पूरा ब्योरा नहीं मिल रहा। इस तरह आंदोलन ने 2.52 करोड़ रुपये की रकम मंजूर की। यह सारी रकम सिर्फ पब्लिक काउज रिसर्च फाउंडेशन (पीसीआरएफ) के खाते में ली गई।
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