Tuesday, November 22, 2011

किसानों की तरक्की के बगैर आगे नहीं बढ़ेगा देश


देश के चहुंमुखी विकास को लेकर सरकार भले ही लगातार डंका पीट रही हो, लेकिन लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार इससे इत्तेफाक नहीं रखती हैं। विकास की राह में अनुसूचित जाति, जनजाति के लोगों तथा अल्पसंख्यकों के बहुत पीछे छूट जाने पर उन्होंने गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि दलितों में बेरोजगारी की समस्या अत्यंत विकट है। वह सोमवार को यहां इंडियन फॉर्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव (इफको) द्वारा आयोजित 24वें नेहरू व्याख्यानमाला में बोल रही थीं। लोकसभा अध्यक्ष ने 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान 8.2 फीसदी की आर्थिक विकास दर को जहां शानदार बताया, वहीं समाज के निचले तबके के लोगों के जीवन स्तर में सुधार न होने पर असंतोष जताया। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जनजातियां आज भी सबसे गरीब हैं। देश में 80 फीसदी बुजुर्ग गांवों में रहते हैं, जिन्हें सेवाएं देना एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि हम चाहे जितनी तरक्की कर लें, लेकिन किसानों की तरक्की के बगैर सही मायने में देश खुशहाल नहीं होगा। इन किसानों में खेतिहर मजदूर भी है, जो भूमिहीन है। उसके पसीने से नहाकर ही धरती अनाज उपजती है। पंडित जवाहर लाल नेहरू के सपने को मूर्त बनाने के लिए उनके सहकारिता के दृष्टिकोण को भारत की सोच बनाना होगा। उन्होंने सहकारिता में समय और परिस्थितियों के हिसाब से बदलाव को जरूरी बताया। इफको समेत अन्य सहकारी संगठन यह बखूबी जानते हैं। मीरा कुमार ने कहा कि स्वयं सहायता समूह बैंक लिंकेज कार्यक्रम का पहला उद्देश्य वित्तीय नेटवर्क और सूदखोरी वाले अनौपचारिक ऋण स्रोतों के बीच के अंतर को खत्म करना था। लेकिन अध्ययन से पता चला है कि ऋण वितरण की स्थिति देश के निर्धन क्षेत्रों में अभी भी प्रतिकूल बनी हुई है। इसे ठीक करने के लिए ऋण सहकारिताओं को महत्त्‍‌वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। इस दौरान उन्होंने इफको के प्रबंध निदेशक उदयशंकर अवस्थी के प्रबंधन की प्रशंसा की। व्याख्यान के बाद राजस्थान के रणमल सिंह और उत्तर प्रदेश के समरपाल सिंह को इफको सहकारिता रत्न और आंध्र प्रदेश के डी. वेंकटराम रेड्डी को सहकारिता बंधु पुरस्कार प्रदान किया गया।

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