Friday, August 12, 2011

मोदी विरोधी एक और आइपीएस अफसर पर शिकंजा


अहमदाबाद आइपीएस अधिकारी संजीव भट्ट के बाद गुजरात सरकार ने राज्य के एक और आला पुलिस अधिकारी के खिलाफ सख्त रवैया अख्तियार किया है। गुजरात दंगों के दौरान मुख्यमंत्री कार्यालय, सत्तारूढ़ भाजपा के कई अहम नेताओं और पुलिस के आला अधिकारियों द्वारा की गई फोन व मोबाइल कॉल्स से संबंधित सीडी नानावती आयोग व एसआइटी को सौंपने वाले आइपीएस राहुल शर्मा को गृह विभाग ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है। सरकार ने कहा है कि गोपनीयता भंग करने और अनुशासनहीनता के लिए क्यों न आप के खिलाफ कार्रवाई की जाए? शर्मा फिलहाल राजकोट में डीआइजी के पद पर तैनात हैं। गृह विभाग के अतिरिक्त सचिव वरेश सिन्हा ने बुधवार देर रात गुजरात कैडर के आइपीएस अधिकारी राहुल शर्मा के खिलाफ नोटिस जारी किया। उन पर राज्य सरकार की इजाजत के बिना फोन कॉल्स की सीडी विभिन्न जांच आयोग और एसआइटी को देने का आरोप है। सरकार ने शर्मा के खिलाफ कार्यालयी गोपनीयता विधेयक, सेवा नियमों का उल्लंघन और अनुशासनहीनता के आरोपों के तहत यह कार्रवाई की है। शर्मा ने सरकार की इस कार्रवाई को गुजरात हाई कोर्ट में चुनौती दी है। सरकार विरोधी पुलिस अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई को लेकर पुलिस विभाग में हड़कंप है। इस कार्रवाई को सरकार विरोधी पुलिस अधिकारियों को काबू में रखने की कवायद के रूप में देखा जा रहा है। इससे पहले राज्य सरकार ने गुजरात दंगों में मुख्यमंत्री मोदी की भी भूमिका बताने वाले आइपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को निलंबित कर दिया था। गुजरात दंगों के दौरान फरवरी, 2002 में भावनगर में पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात रहते शर्मा ने हिंसक भीड़ को एक मदरसे पर हमला करने से रोक दिया था। इसके तत्काल बाद उनका तबादला अहमदाबाद पुलिस नियंत्रण कक्ष में कर दिया गया था। अहमदाबाद के तत्कालीन पुलिस आयुक्त पीसी पांडे ने शर्मा को ही शहर के नरोड़ा पाटिया दंगे की जांच सौंपी थी। जांच के दौरान शर्मा ने दंगे के वक्त मुख्यमंत्री कार्यालय, राज्य सरकार व संगठन के कई शीर्ष नेताओं, विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारियों के साथ पुलिस के आला अधिकारियों के फोन और मोबाइल कॉल्स की जानकारी जुटाई थी। इसी जानकारी से संबंधित सीडी शर्मा ने नानावती-मेहता आयोग, बनर्जी आयोग और एसआइटी को उपलब्ध कराई थी। इसी सीडी के आधार पर महिला एवं बाल कल्याण राज्य मंत्री मायाबेन कोडनानी को मंत्री पद से हाथ धोना और जेल जाना पड़ा था। ताजा घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए विपक्षी दल कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि सरकार सच बोलने वाले अधिकारियों की आवाज दबा रही है।


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