भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रहे अन्ना हजारे की कोर कमेटी के सदस्य रहे मैग्सेसे पुरस्कार विजेता राजेंद्र सिंह और गांधीवादी पीवी राजगोपाल ने अब इस कमेटी से इस्तीफा दे दिया है। राजेंद्र सिंह का कहना है कि अन्ना हजारे और अरविंद केजरीवाल तानाशाह है और यह आंदोलन दलगत राजनीति की गलत दिशा में जा रहा है। राजेंद्र सिंह का यह भी कहना है कि इन दोनों को यह समझ आना चाहिए कि लाखों लोग अन्ना और केजरीवाल के लिए नहीं आए थे, वे देश में भ्रष्टाचार रोकने के लिए जमा हुए थे। इधर, एक अखबार में प्रकाशित खबर में किरण बेदी की हवाई यात्राओं को लेकर भी खुलासा किया गया है। इस खबर के मुताबिक किरण बेदी को 1979 में राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार मिला था और वर्ष 2001 के सरकारी दिशा-निर्देशों के मुताबिक वीरता पुरस्कार से सम्मानित सभी लोग एयर इंडिया के इकोनॉमी क्लास के किराये में 75 फीसदी छूट के हकदार हैं। अखबार का कहना है कि किरण बेदी जिन सेमिनार और आयोजनों में शामिल होती हैं, उन संस्थाओं से हवाई यात्रा किराया बिजनेस क्लास श्रेणी का लेती हैं, जबकि यात्रा इकोनॉमी क्लास में रियायती टिकट पर करती हैं। हालांकि किरण बेदी का कहना है कि ऐसा करने से उन्हें कोई निजी फायदा नहीं हुआ है और इकोनॉमी क्लास में यात्रा करके जो पैसा बचता है, वह उनकी गैर सरकारी संस्था के खाते में जाता है। अभी कुछ दिनों पहले कोर कमेटी के सदस्य प्रशांत भूषण ने कश्मीर में जनमत संग्रह को लेकर अपना विवादास्पद बयान दिया। अरविंद केजरीवाल जोश में आकर अन्ना हजारे को संसद से ऊपर बता चुके हैं। कुल मिलाकर कुछ लोगों के बड़बोलेपन और आंदोलन को मुद्दों से हटकर व्यक्ति विशेष पर केंद्रित करने की वजह से आज देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ किया गया बड़ा आंदोलन सही दिशा में बढ़ता दिखाई नहीं दे रहा। वैसे तो टीम अन्ना शब्द अपने आप में सवालों के घेरे में है। चंद मुट्ठीभर लोगों ने अन्ना के इर्द-गिर्द घेरा बना लिया और तैयार हो गई टीम अन्ना। आज भी अन्ना हजारे जैसी शख्सियत की नीयत पर किसी को भी शक नहीं है। अन्ना के अनशन की वजह से कई बार भ्रष्ट मंत्रियों और अधिकारियों को अपना पद छोड़ना पड़ा है। अरविंद केजरीवाल जैसे लोगों की नीयत पर भी सवाल नहीं खड़े किए जा सकते, लेकिन देश का असली मसला अन्ना हजारे और अरविंद केजरीवाल नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार की समस्या है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि आप देश की सबसे बड़ी समस्या से लोकतांत्रिक मर्यादाओं में रहकर किस तरह निपटते हैं? क्या टीम अन्ना के बड़बोलेपन की वजह से देश में भ्रष्टाचार का मसला हाशिए पर आता दिखाई नहीं दे रहा है? भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन किसी टीम अन्ना का आंदोलन नहीं, बल्कि देश की जनता का आंदोलन था और इसे जनता का आंदोलन ही बनाए रखना चाहिए था। आजादी के बाद से अब तक देश की जनता भ्रष्टाचार से त्रस्त रही है। महंगाई और भ्रष्टाचार की दोहरी मार झेल रही जनता को इस आंदोलन से उम्मीद की किरण दिखाई दी और इसके चलते ही इंडिया अगेंस्ट करप्शन की मुहिम के समर्थन में जनसैलाब उमड़ पड़ा। इंडिया अगेंस्ट करप्शन की मुहिम को अन्ना हजारे, बाबा रामदेव, श्रीश्री रविशंकर, मेहमूद मदनी, सैयद रिजवी, अरविंद केजरीवाल और किरण बेदी जैसे कई लोगों ने शुरू किया था, लेकिन कुछ ही दिनों में चंद लोगों ने इस आंदोलन को अन्ना आंदोलन बना दिया और यही वजह है कि टीम अन्ना के प्रमुख सदस्य अरविंद केजरीवाल अब अन्ना को संसद से ऊपर बता चुके हैं। एक तरफ अरविंद केजरीवाल अन्ना को संसद से ऊपर मानकर चल रहे हैं तो दूसरी तरफ उनके प्रमुख सहयोगी प्रशांत भूषण कश्मीर में जनमत संग्रह कराने का राग अलाप रहे हैं। हालांकि अन्ना ने अरविंद केजरीवाल और प्रशांत भूषण के इन बयानों पर नाराजगी जताई है। प्रशांत भूषण के जनमत संग्रह वाले बयान पर अन्ना का कहना है कि मैं हर उस आदमी का विरोधी हूं, जो देश को तोड़ने की बात करता है। अन्ना का यह भी कहना है कि अब हमारी कोर कमेटी इस मसले पर विचार करेगी कि प्रशांत भूषण को टीम में रखना है या नहीं। यह बात ठीक है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में प्रशांत भूषण, अरविंद केजरीवाल और किरण बेदी के योगदान की अनदेखी नहीं की जा सकती और जनता को जागरूक करने की दिशा में उनकी पहल की भी सराहना की जानी चाहिए, लेकिन इस पूरे आंदोलन को व्यक्तिवादी आंदोलन बनाने में इन लोगों ने कोई कसर नहीं छोड़ी। अन्ना के अनशन के वक्त किरण बेदी ने मंच से नारा दिया था कि मैं भी अन्ना, तू भी अन्ना, अब तो सारा देश है अन्ना। यह बात सही है कि सादगी, सरलता और ईमानदारी से भरा अन्ना का व्यक्तित्व देश के युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत है, लेकिन फिर भी इस आंदोलन को अन्ना केंद्रित बना देना किसी भी लिहाज से ठीक नहीं था। इसमें कोई दो मत नहीं कि कांग्रेस की अगुवाई में देश में संप्रग की सरकार है और अगर सरकार चाहे तो एक ऐसा प्रभावी लोकपाल बिल लाया जा सकता है, जिससे देश को काफी हद तक भ्रष्टाचार से निजात मिल सके। लेकिन हम यह देख चुके हैं कि इस मसले पर लगभग सभी पार्टियों ने बहुत दिनों तक चुप्पी साधी हुई थी। जनलोकपाल बिल को लेकर टीम अन्ना कांग्रेस से नाराज है और अब भ्रष्टाचार के खिलाफ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा को अन्ना हजारे वोट बैंक की यात्रा बता रहे हैं। इसमें कोई दो मत नहीं कि राजनीतिक फायदे के लिए सारे राजनीतिक दल कमोबेश एक जैसे ही हैं, लेकिन ऐसे में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में हम किसी एक राजनीतिक दल के खिलाफ जाकर उसे चुनाव में हराने की अपील तभी करें, जब हम कोई दूसरा विकल्प जनता के सामने लेकर आ रहे हों। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह अन्ना और संघ के रिश्तों की चिट्ठियां सामने लेकर आ रहे हैं और खुद अन्ना हजारे और उनसे जुड़े लोग इस पूरे मसले पर सफाई देने में जुटे हैं। संघ की नीतियों से आप भले ही इत्तेफाक नहीं रखते हों, लेकिन अगर भ्रष्टाचार को लेकर संघ या कोई भी संगठन आपके साथ खड़ा हो तो इसमें आपको सफाई देने की जरूरत क्यों होनी चाहिए? दिल्ली के रामलीला मैदान पर भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम को जिस तरह से जनसमर्थन मिला था, जनता की उस ताकत को अन्ना से जुड़े लोग सही दिशा नहीं दे सके। जनलोकपाल बिल को लेकर भी जनता को जागरूक करना अपनी जगह बिल्कुल ठीक है, लेकिन हिसार उपचुनाव में जनता के बीच कांग्रेस को वोट नहीं देने की अपील करना अन्ना के सहयोगियों का हड़बड़ी में उठाया गया कदम लगता है। जस्टिस संतोष हेगड़े ने भी इस फैसले पर सवाल खड़े किए हैं। अन्ना 15 अक्टूबर से उत्तर प्रदेश के दौरे पर जाने वाले थे, लेकिन उन्होंने फिलहाल अपनी इस यात्रा को टाल दिया है और इसके साथ ही उन्होंने मौन व्रत पर जाने की भी घोषणा कर दी। दरअसल, बढ़ते भ्रष्टाचार को देखते हुए आज जरूरत इस बात की है कि देश की जनता को जागरूक किया जाए। उसे भ्रष्टाचार के आगे हथियार डालने की बजाय उससे लड़ना सिखाया जाए। लोगों को बताया जाए कि राशन कार्ड हो या स्कूल में दाखिला, अस्पताल में इलाज की बात हो या फिर ड्राइविंग लाइसेंस, कोई भी व्यक्ति एक पैसा भी रिश्वत नहीं देगा। किसानों के भीतर यह आत्मविश्वास पैदा किया जाए कि उन्हें उनकी फसलों का वाजिब दाम मिलेगा और इस काम में किसान किसी भी दलाल या बिचौलियों को बर्दाश्त नहीं करें। देश का जनमानस अगर जागरूक हो गया तो फिर कोई भी राजनीतिक दल अपने फायदे के लिए जनता के साथ धोखा नहीं कर सकेगा और तभी देश में ऐसे आंदोलन सार्थक हो सकेंगे। मौन व्रत के बाद अन्ना को अपने साथियों को यह बात समझानी होगी कि देश में सकारात्मक परिवर्तन के लिए की जाने वाली कोई भी पहल या सुधार का कोई भी लक्ष्य देश के संवैधानिक ढांचे या लोकतांत्रिक मर्यादाओं को तार-तार कर हासिल नहीं किया जा सकता। (लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
Friday, October 21, 2011
दिल्ली से भेजी खाद यूपी में हो जाती है ब्लैक : राहुल
राज्य की मायावती सरकार के खिलाफ तल्ख तेवर अपनाते हुए कांग्रेस महामंत्री राहुल गांधी ने यहां कहा कि दिल्ली से भेजी गई खाद यूपी के गोदामों में पहुंचने के बाद ब्लैक हो जाती है। यही हाल केंद्रीय योजनाओं के लिए दिल्ली से आवंटित होने वाले धन का है। इससे योजनाओं का लाभ आम जनता को नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने कहा कि इसीलिए केंद्र सरकार अब आधार कार्ड बनवा रही है। इससे केंद्र का धन सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते में जमा होगा। गुरुवार को एक दिवसीय दौरे पर अमेठी पहुंचे राहुल गांधी ने हरखूमऊ में बीज संशोधन संयंत्र व भंडारगृह का शुभारंभ करते हुए आरोप लगाया कि बसपा सरकार की लापरवाही के कारण केंद्र द्वारा किसानों के 60 हजार करोड़ रुपये के ऋण माफी का पूरा लाभ नहीं मिल रहा। उन्होंने किसानों की खाद न मिलने की शिकायत पर कहा कि दिल्ली से केंद्र सरकार यूपी के किसानों के लिए खाद भेजती है। खाद यूपी के गोदामों में पहुंचने के बाद गायब हो जाती है। उन्होंने कहा कि पता चला है कि खाद रात के अंधेरे में गोदामों से ब्लैक में बेच दी जाती है। उन्होंने मनरेगा, शिक्षा व स्वास्थ्य विभाग में हजारों करोड़ रुपये का सही उपयोग नहीं होने के आरोप भी लगाए। उन्होंने कहा की केंद्र की मनमोहन सरकार के प्रयासों के बाद भी यूपी में किसानों और आम जनता को उनका वाजिव हक नहीं मिल पा रहा है। राहुल ने कहा कि इसके लिए अब आपको प्रदेश में गरीबों और किसानों की मदद करने वाली कांग्रेस की सरकार बनानी होगी। इस दौरान उन्होंने लोगों को भरोसा दिलाया कि संसद के आगामी सत्र में भूमि अधिग्रहण विधेयक पारित करा दिया जाएगा। उन्होंने इस दौरान उन्होंने तीन साल में सबके आधार कार्ड बनवाने का भी भरोसा दिलाया। इसके बाद राहुल गांधी ने गौरीगंज के किसान सेवा केंद्र पर पहुंच खाद की किल्लत झेलते किसानों का दर्द जाना। रजिस्टर व स्टाक के मिलान में गड़बड़ी भी पकड़ी। जिला कृषि अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के साथ पार्टी कार्यालय में बैठक कर विधायकों और क्षेत्रीय कांग्रेसजनों से किसानों की समस्याएं सुलझाने के लिए संघर्ष करने की बात कहीं। राहुल गांधी को ग्राम दयालापुर के प्राथमिक विद्यालय के बच्चों तीन माह से मिड मील नहीं मिलने की शिकायत की। राहुल के वाहनों का काफिला संसदीय क्षेत्र की ओर निकला तो तेंदुआ, बहादुरपुर, जायस, गांधीनगर, बाबूगंज, काजी पट्टी स्थानों पर लोगों ने फूलों व नारों से स्वागत करते हुए अपनी पीड़ाएं भी बांटी। गौरीगंज में कार्पोरेशन बैंक की शाखा का उद्घाटन करते हुए भी राहुल गांधी ने वोट बैंक का ध्यान रखा। केंद्रीय योजनाओं के अमल में गोलमाल के आरोप राज्य सरकार पर लगाते हुए बताया कि केंद्र से भेजे एक रुपये का 15 पैसा ही जनता तक पहुंच पा रहा है।
कांग्रेस को नहीं भाई किरण बेदी की सफाई
अन्ना हजारे की टीम की प्रमुख सहयोगी किरण बेदी विवाद में घिर गई हैं। आरोप है कि बेदी आयोजनों में भाग लेने के लिए आयोजकों से पूरा हवाई किराया वसूल रही थीं। अपनी सफाई में बेदी ने कहा है कि यह बचत उन्होंने समाज कार्य के लिए की है, निजी फायदे के लिए नहीं। कांग्रेस ने मामले को गंभीर बताते हुए बेदी को ईमानदारी से जवाब देने को कहा है। बेदी को शौर्य पदक हासिल होने की वजह से एयर इंडिया की टिकट में 75 फीसदी तक की छूट हासिल है। खबरों में कहा गया है कि वे अपनी यात्राओं के दौरान इसका फायदा भी ले रही हैं, लेकिन विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजकों से वे इन यात्राओं में भाग लेने के लिए अपनी हवाई यात्रा का पूरा किराया ले रही थीं। हालांकि यह पूरी रकम उनके गैर सरकारी संगठन इंडिया विजन फाउंडेशन के खाते में जाती थी। कुछ मामलों में तो उन्होंने सस्ते इकोनॉमी क्लास में सफर कर बिजनेस क्लास की रकम भी हासिल की है। इस पर बेदी का कहना है कि उन्होंने यह बचत सामाजिक काम के लिए की है। इसमें उनका अपना कोई लाभ नहीं हुआ है। अगर वे वाकई अपना फायदा सोचतीं तो महंगे दर्जे में सफर कर सकती थीं। उन्होंने यह भी दावा किया है कि इस बारे में वे आयोजकों को पहले ही बता दिया करती थीं। बेदी का कहना है कि कुछ लोग जान-बूझ कर ऐसे मामले खड़ा कर रहे हैं। लेकिन इसका फायदा उन्हें नहीं मिलने वाला। उधर, कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा है कि बेदी पर लगे यह आरोप बहुत गंभीर हैं और उन्हें इनका पूरी ईमानदारी से जवाब देना चाहिए। कांग्रेस के प्रवक्ता राशिद अल्वी ने भी कहा कि बेदी को भ्रष्टाचार पर आंदोलन करने से पहले खुद को ईमानदार साबित करना चाहिए। अल्वी ने लगे हाथ पूरी टीम अन्ना पर भी सवाल उठा दिए। उन्होंने कहा कि एक सदस्य का कहना है कश्मीर पर जनमत संग्रह करवा लिया जाए। दूसरा अन्ना को संसद के ऊपर बता रहा है। तीसरा अपने मेजबानों से ज्यादा किराया वसूल रहा है। इस सबसे टीम अन्ना का असली रंग सामने आ गया है। कानून मंत्री सलमान खुर्शीद का कहना था कि जिस तरह टीम अन्ना के लोग हमारे बारे में कोई भी बात कह देते हैं वैसा हम उनके बारे में नहीं कह सकते। इस बारे में किरण बेदी ही संतोषजनक सफाई दे सकती हैं। स्वामी अग्निवेश ने बेदी के तर्को को खारिज करते हुए कहा कि उन्हें पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवानी चाहिए या सीबीआइ से अपने संस्था की जांच करने के लिए कहना चाहिए। उन्होंने कहा कि शौर्य सम्मान का दुरुपयोग गंभीर मामला है।
Monday, October 17, 2011
यूपी में मुख्यमंत्री को लाएंगे लोकायुक्त के दायरे में
जन स्वाभिमान यात्रा के चौथे दिन रविवार को भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा कि कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री येद्दयुरप्पा की गिरफ्तारी से भाजपा के भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम पर कोई असर नहीं पड़ेगा। यात्रा पर निकलने से पहले यहां पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर विपक्षी दलों पर जमकर निशाना साधा। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और प्रदेश के मुख्यमंत्री का फैसला पार्टी की संसदीय समिति करेगी। राजनाथ ने कहा कि लोकायुक्त की रिपोर्ट आते ही पार्टी ने येद्दयुरप्पा से इस्तीफा ले लिया था। भ्रष्टाचार के सवाल पर विपक्षी दलों को निशाने पर लेते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा के किसी भी बड़े नेता पर भ्रष्टाचार का आरोप लगता है तो पार्टी उसे संरक्षण नहीं देगी। उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी सवालों के घेरे में खड़ा किया। कहा, 2जी घोटाले में गृह मंत्री पी. चिदंबरम का नाम आने के बाद उनकी जांच कराने की बजाए खुद बचाव में उतर आए। प्रदेश की बसपा सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि नोएडा में ही वर्ष 2009-10 व 2010-11 में 38.22 लाख वर्गमीटर जमीन प्राधिकरण ने मनमाने तरीके से 8,131 करोड़ रुपये में बेच दी। सर्किल रेट के मुताबिक इसकी कीमत 16,000 करोड़ रुपये होनी चाहिए थी। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने पर घोटालों की जांच के लिए विशेष कमेटी गठित करने की बात कही। यह भी वादा किया कि प्रदेश में मुख्यमंत्री को भी लोकायुक्त के दायरे में लाया जाएगा। भाजपा मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व कर्नाटक की तर्ज पर पूरे देश में किसानों को एक प्रतिशत की दर पर खेती के कर्ज मुहैया कराना चाहती है। किसानों को उनकी फसल के एवज में न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ बोनस भी दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि पूरे देश में हाउसिंग सेक्टर रीयल इस्टेट डेवलपर्स के हवाले है।
कश्मीर पर प्रशांत भूषण की भाषा बोलीं मेधा पाटकर
टीम अन्ना के एक और सहयोगी मेधा पाटकर ने अलगाववादियों के सुर में सुर मिलाकर गांधीवादी नेता अन्ना हजारे के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। पाटकर ने सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफास्पा) को कश्मीर समस्या की जड़ करार दिया है। इससे पहले प्रशांत भूषण ने पाकिस्तानी सरकार के रुख की हिमायत करते हुए कहा था कि कश्मीर की जनता अगर जनमत के जरिए विभाजन के पक्ष में फैसला करती है तो उसे देश से अलग कर देना चाहिए। विख्यात सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने रविवार को कवयित्री व आंदोलनकर्ता इरोम चानू शर्मीला के छेड़े गए अभियान के तहत अफास्पा हटाने के लिए श्रीनगर में रैली निकाली, जिसमें करीब साठ लोगों ने हिस्सा लिया। इस पहले लाल चौक स्थित प्रेस कॉलोनी में धरना भी दिया गया। पाटेकर ने कहा कि इस कानून के कारण लोगों का लोकतंत्र से विश्वास उठ चुका है। जब तक यह कानून रहेगा तब तक राज्य में शांति बहाल नहीं हो सकती। इस कानून से लोग दहशत में हैं। वह खुलकर सांस नहीं ले पा रहे हैं। हमें कोशिश करनी चाहिए कि इन कानूनों को हटाकर लोगों को आजादी से सांस लेने दी जाए। तभी यहां के लोगों के दिल जीते जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि कश्मीर एक जटिल समस्या है। इसके लिए अफास्पा को हटाना जरूरी है। मणिपुर, पंजाब, असम व जम्मू-कश्मीर के लोगों को इस कानून का खामियाजा भुगतना पड़ा है। कश्मीर समस्या सियासी ढंग से ही हल की जा सकती है। कश्मीर में जनमत संग्रह के बारे में उन्होंने कहा कि हम यहां अफास्पा हटाने की मांग लेकर आए हैं। फिलहाल हमें इसी पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। टीम अन्ना के प्रमुख सदस्य प्रशांत भूषण के कश्मीर पर दिए गए बयान पर पाटकर ने कहा कि यह उनकी निजी राय है। केंद्र को कश्मीर समस्या से संबंधित रिपोर्ट पर उन्होंने कहा कि वार्ताकारों की सिफारिशों के साथ केंद्र को कश्मीरियों की सिफारिशों पर भी गौर करना चाहिए। कश्मीरी अफास्पा हटाने की सिफारिश कर रहे हैं। सरकार को जनशक्ति को ध्यान में रखते हुए अफास्पा हटाना ही होगा।
Saturday, October 15, 2011
कांग्रेस यदि दलित को पीएम बनाए तो मायावती भयभीत क्यों : अंबेडकर
आरपीआई नेता और भीमराव अंबेडकर के पोते प्रकाश अंबेडकर ने शनिवार को कहा कि यदि कांग्रेस दलित को प्रधानमंत्री के तौर पर नियुक्त करती है तो उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती को पार्टी से भयभीत नहीं होना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार और केंद्रीय मंत्री सुशील कुमार शिंदे मायावती से अधिक योग्य हैं। यह बयान मायावती की उस टिप्पणी के एक दिन बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि उत्तर प्रदेश विधानसभा के अगले साल होने वाले चुनावों के मद्देनजर दलित वोटों को काटने के लिए कांग्रेस लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार या केंद्रीय मंत्री सुशील कुमार शिंदे को प्रधानमंत्री बना सकती है। प्रकाश ने संवाददाताओं से कहा, ‘यदि दलित प्रधानमंत्री बनता है तो उन्हें खुश होना चाहिए, मीरा और शिंदे दोनों ही मायावती से अधिक योग्य हैं।’
उन्होंने कहा कि इन दोनों के अलावा कांग्रेस के पास बूटा सिंह और केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा के रूप में महत्वपूर्ण दलित चेहरे हैं। मीरा पूर्व भारतीय विदेशी सेवा अधिकारी रह चुकी हैं जबकि शिंदे जानेमाने राजनेता हैं जो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। उन्होंने कहा, ‘उनकी राजनीतिक छवि मायावती से बेहतर है।’
Friday, October 14, 2011
अभी नहीं हटे हैं भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे मंत्री : शिवपाल
नेता प्रतिपक्ष शिवपाल सिंह यादव ने यहां कहा कि मुख्यमंत्री अफसरों पर गलत कामों के लिए दबाव डालती हैं, जो अफसर नियमविरुद्ध कार्य करने को राजी नहीं होते हैं उन्हें प्रताडि़त व निलंबित किया जाता है। वहीं भ्रष्टचार में आकंठ डूबे मंत्री मुख्यमंत्री की मेहरबानी से अभी भी मंत्रिमंडल में बने हुए हैं। अब सपा ऐसे मंत्रियों की लोकायुक्त से शिकायत करेगी। यादव गुरुवार को पत्रकारों से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हाल ही में निलंबित की गईं वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी प्रोमिला शंकर इसका प्रमाण है। यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण क्षेत्र के तहत उपजाऊ कृषि भूमि के नगरीयकरण योजना के प्रस्ताव पर एतराज जताने पर उन्हें गलत आरोपों में निलंबित कर दिया गया। यादव ने कहा कि दबाव और प्रताड़ना के चलते पूर्व में तत्कालीन प्रमुख सचिव आवास हरमिंदर राज सिंह को आत्महत्या कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि आठ हजार करोड़ के एनआरएचएम घोटाले में तीन चिकित्साधिकारियों की हत्या हुई। अपराधियों का जेल जाना, डिप्टी सीएमओ डा.वाइएस सचान को जेल से बाहर ले जाकर फार्म हाउस पर उनकी हत्या मामले में प्रमुख सचिव गृह व कारागार मंत्री की भूमिका संदेह के घेरे में है। सपा नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री के पास कुछ दिनों तक परिवार कल्याण विभाग रहा इसलिए सीबीआइ को इस परिप्रेक्ष्य में भी जांच करनी चाहिए। उन्होंने दोहराया कि नैतिकतावश मुख्यमंत्री को स्वयं ही इस्तीफा दे देना चाहिए था, लेकिन वे इस्तीफा नहीं सौंप रहीं हैं। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जिन मंत्रियों के टिकट काटे गए हैं, नैतिक रूप से उन्हें मंत्री बने रहने का कोई अधिकार नहीं रहा है। मुख्यमंत्री को ऐसे मंत्रियों से इस्तीफा लेना चाहिए। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि घोटालों में शामिल मंत्रियों और अपराधियों के लिए सपा में कोई जगह नहीं है। प्रदेश सरकार के आधा दर्जन वरिष्ठ मंत्रियों के नाम लेकर उन्होंने कहा कि सरकार में शीर्ष स्तर पर मिलीभगत के चलते भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे इन मंत्रियों को अभी भी मुख्यमंत्री ने उनके पद से नहीं हटाया है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि लोकायुक्त की रिपोर्ट के बाद दबाव में जिन मंत्रियों को बर्खास्त किया गया, आर्थिक अपराध को लेकर उनके खिलाफ कोई रिपोर्ट नहीं दर्ज कराया जाना सरकार में उच्च स्तर पर मिलीभगत के शक को पुख्ता करता है।
Saturday, October 8, 2011
अन्ना का ठाकरे पर पलटवार
अन्ना हजारे द्वारा शिवसेना प्रमुख पर उम्रदराज होने संबंधी टिप्प्णी के बाद बाल ठाकरे ने शुक्रवार को वाक् युद्ध को आगे बढ़ाते हुए गांधीवादी नेता को अनावश्यक वैर नहीं लेने और संघर्ष की चेतावनी दी। ठाकरे(85) ने कहा,‘आप मुझसे छोटे हैं। यह बचपना आपको शोभा नहीं देता।’
शिवसेना की वाषिर्क दशहरा रैली में बृहस्पतिवार को पार्टी सुप्रीमो द्वारा हजारे पर की गई टिप्पणी से गांधीवादी नेता की नाराजगी के बीच यह बयान आया है। अपने भाषण के दौरान ठाकरे ने 74 वर्षीय हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन को ‘मजाक’ बताया था। उन्होंने कहा,‘अन्ना, इस देश से भ्रष्टाचार खत्म नहीं होगा। बड़ी मछलियां इसमें शामिल हैं। आपका जाल फट जाएगा लेकिन ये मछलियां नहीं फंसेंगी।’ सेना प्रमुख की टिप्पणी का जवाब देते हुए हजारे ने ठाकरे की बढ़ती उम्र को लेकर टिप्पणी की थी। यहां जारी बयान में ठाकरे ने कहा,‘अन्ना ने जो कहा हम उसका उपयुक्त जवाब दे सकते हैं, क्योंकि हम गांधीवादी नहीं हैं। चूंकि आपने मेरी बढ़ती उम्र का जिक्र किया, मैं आपसे कहना चाहता हूं कि आप मुझसे छोटे हैं और यह बचपना आपको शोभा नहीं देता।’ ठाकरे ने हजारे को चेतावनी देते हुए कहा,‘हमसे अनावश्यक वैर मत लीजिए।’ अन्ना हजारे पर निशाना साधते हुए ठाकरे ने कहा था कि गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता का अनशन ‘फाइव स्टार’ कार्यक्र म के समान था। उन्होंने कहा,‘यह एक फाइव स्टार उपवास था,भ्रष्टाचार (के मुद्दे) को हंसी-मजाक का विषय मत बनाइये।’ ठाकरे ने कहा,‘ अन्ना, भ्रष्टाचार के खिलाफ आप ईमानदारी से संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन भ्रष्टाचार का इस तरीके से खात्मा नहीं किया जा सकता..’
उन्होंने नई दिल्ली के रामलीला मैदान में अनशन स्थल पर 35,000 लोगों के लिए भोजन सहित भारी इंतजामों का भी हवाला दिया। इस पर प्रतिक्रि या देते हुए हजारे ने रालेगण सिद्धी में संवाददाताओं से कहा,‘उन्हें जो सही लगता है वह कहें। हमें जो सही लगता है वह हम करेंगे।’ हजारे ने कहा कि ‘अपमान सहन करने की शक्ति होनी चाहिए।’ इससे पहले शिवसेना ने हजारे के आंदोलन को अपना समर्थन दिया था और ठाकरे के पोते आदित्य ने अनशन के दौरान हजारे से मुलाकात भी की थी।
कांग्रेस को वोट न दें
हिसार लोस क्षेत्र में आज से दिखाई जाएगी अन्ना की वीडियो अपील
समाजसेवी अन्ना हजारे ने हिसार में हो रहे लोकसभा उपचुनाव के लिए कांग्रेस के खिलाफ वोट देने की अपील कर दी है। जिसे एक वीडियो की शक्ल में शनिवार की दोपहर से हिसार में दिखाया जाएगा। अन्ना ने कांग्रेस के खिलाफ वोट नहीं देने का एक वीडियो बनवाया है, जिसे लेकर अन्ना के साथी अरविंद केजरीवाल हिसार जा रहे हैं। दोपहर में एक बजे अरविंद केजरीवाल और अन्ना के साथी हिसार के एक गांव में पहुंचेंगे और कांग्रेस के खिलाफ अन्ना के वीडियो को दिखाएंगे। इसके साथ ही अन्ना की कांग्रेस के खिलाफ वीडियो अपील पूरे हिसार में दिखाई जाने लगेगी। उधर हिसार में प्रचार कर रहे कांग्रेस महासचिव और हरियाणा के प्रभारी बीके हरिप्रसाद ने इस बीडियो पर प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि अन्ना और केजरीवाल महाभ्रष्ट को जिताने के लिए परिश्रम कर रहे हैं। उन्होंने फोन पर कहा कि कांग्रेस भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने में पीछे नहीं है लेकिन अन्ना और उनके साथियों का आचरण हिसार में भ्रष्टाचारियों को मदद करने वाला है और जनता उनके इरादे को खूब समझती है। कांग्रेस नेता ने कहा कि पार्टी अन्ना और उनके साथियों की गंदी राजनीति से डरने वाली नहीं है और हिसार में उनका डटकर मुकाबला करेगी। वहीं अन्ना के साथी चुनाव होने तक हिसार में ही रहेंगे और इस दौरान कई सभाओं को सम्बोधित करेंगे। जहां तक अन्ना के वीडियो की बात है 10 मिनट के इस वीडियो में कांग्रेस छोड़कर किसी भी दल को वोट देने की अपील की गई है। हिसार के चुनाव में कांग्रेस के अलावा हरियाणा जनहित कांग्रेस और इंडियन नेशनल लोकदल का उम्मीदवार चुनाव मैदान में है। टीम अन्ना का कहना है कि कांग्रेस को छोड़कर बाकी सभी उम्मीदवारों ने मजबूत लोकपाल के समर्थन का पत्र दे दिया है इसलिए अन्ना उनके खिलाफ नहीं हैं। पर लोगों से यह गुजारिश अवश्य कर रहे हैं कि वो साफ- सुथरी छवि वाले उम्मीदवारों को वोट देंगे तो अच्छा होगा। अरविंद केजरीवाल के साथ अन्ना की कोर टीम के सदस्य मनीष सिसोदिया, गोपाल राय, हरियाणा से आने वाले नवीन जयहिंद भी शनिवार को हिसार जा रहे हैं। किरन बेदी 10 अक्टूबर को वहां जाएंगी।
Monday, October 3, 2011
पशु ही जी सकते हैं 32 रुपए रोजाना पर : एनएसी सदस्य
राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) ने गरीबी रेखा के नीचे (बीपीएल) जीवन यापन करने वालों की संख्या निर्धारित करने के लिए योजना आयोग के मानदंड की आलोचना की है। एनएसी के सदस्य एनसी सक्सेना ने कहा कि कोई भी व्यक्ति 32 रुपया प्रतिदिन पर गुजारा नहीं कर सकता। सक्सेना ने कहा, ‘32 रुपए रोजाना पर आपको पता है कि केवल कुत्ते और पशु ही जी सकते हैं।’ मानदंड की व्यापक स्तर पर हो रही आलोचना को देखते हुए आयोग हलफनामे पर फिर से विचार कर सकता है। सरकार ने संकेत दिया है कि आयोग अपना हलफनामा बदल सकता है। इस हलफनामे में कहा गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिदिन 25 रुपए से अधिक तथा शहरी क्षेत्रों में 32 रुपए से अधिक रोजाना खर्च करने वाले बीपीएल दायरे में नहीं आते। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) के कई सदस्यों ने गरीबी रेखा की नई परिभाषा को ‘घटिया’ करार देते हुए इसे खारिज कर दिया है। सक्सेना ने कहा कि देश में जहां 80 प्रतिशत आबादी गरीब है, सरकार को उन्हें लाभ पहुंचाना चाहिए तथा बीपीएल निर्धारण के लिए 32 रुपए के विचार से असहमति जताना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘जो लोग 32 रुपया रोजाना खर्च करते हैं, वह समाज के सबसे गरीब हैं। आप उन्हें दीन-हीन कह सकते हैं, आप उन्हें लोगों की ऐसी श्रेणी में रख सकते हैं जो अमानवीय जीवन जा रहे हैं।’ गरीबों को बीपीएल लाभ देने का समर्थन करते हुए एनसी सक्सेना ने कहा कि सरकार को गरीबी रेखा की परिभाषा पर फिर से विचार करना चाहिए। अहलूवालिया को लिखे खुले पत्र में एनएसी की सदस्य तथा सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा राय तथा हर्ष मंदर ने हलफनामा पर सवाल उठाया है। यह भी खबर है कि कांग्रेस के महासचिव राहुल गांधी ने योजना आयोग के उपाध्यक्ष अहलूवालिया को हलफनामा बदलने की सलाह दी है। पूर्व केंद्रीय मंत्री तथा प्रख्यात अर्थशास्त्री वाईके अलघ ने कहा कि गरीबी रेखा 1997 में विकसित की गई थी और मौजूदा समय में इसकी कोई प्रासंगिकता नहीं है। उन्होंने कहा, ‘उस समय हमारा जोर लोगों को भोजन उपलब्ध कराने पर था लेकिन अभी आकांक्षाएं काफी ऊंची है। इसीलिए मैं तेंदुलकर समिति की रिपोर्ट पर आधारित गरीबी रेखा के निर्धारण का आलोचक रहा हूं।’
आलोचना राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के सदस्य एनसी सक्सेना ने योजना आयोग के गरीबी के आकलन की कड़ी आलोचना की सरकार ने दिए हलफनामा में बदलाव के संकेत
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