Monday, October 3, 2011

प्रणब और चिदंबरम के बीच थे मतभेद

केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने स्वीकार किया है कि वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी और गृह मंत्री पी. चिदंबरम के बीच विवादास्पद 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन पर की गई टिप्पणी को लेकर कुछ मतभेद थे। हालांकि उन्होंने यह भी संकेत दिए कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी जल्द से जल्द इस विवाद का अंत चाहती हैं। उनके अनुसार सोनिया चाहती हैं कि प्रणब और चिदंबरम के कामकाज के दौरान के मतभेद को, मीडिया दो बड़े मंत्रियों के बीच टकराव के रूप में न पेश करे। दोनों के बीच कोई बड़े मतभेद नहीं हैं। इन सबके बीच विधि मंत्री ने चिदंबरम की पहले आओ पहले पाओ नीति का यह कहते हुए बचाव किया कि कैबिनेट के फैसले को वह बदल नहीं सकते थे। एक टीवी चैनल के टॉक शो में खुर्शीद ने कहा, क्या चिदंबरम अकेले कैबिनेट के फैसले को बदल सकते थे? उनके अनुसार जब कैबिनेट के किसी फैसले के संदर्भ में बड़ी संख्या में मंत्रियों और एक मंत्री के बीच असहमति हो या दो मंत्रियों के बीच असहमति हो, किसी एक बिंदु पर आपको हां कहना होगा..। उन्होंने 25 मार्च के नोट के बारे में कहा कि नोट में जो निष्कर्ष हैं उसमें विभिन्न मंत्रालयों के अधिकारियों का नजरिया नहीं परिलक्षित होता। यह पूछे जाने पर कि मुखर्जी ने सिर्फ यह कहा कि नोट में उनके विचार नहीं परिलक्षित होते, उन्होंने यह नहीं कहा कि वह इससे असहमत हैं, खुर्शीद ने कहा कि यह एकमात्र तरीका है जिसमें कोई कह सकता है कि ये मेरे विचार नहीं हैं। यह व्यवहारिक भाषा है जिसका इस्तेमाल हम रोजाना की जिंदगी में करते हैं, खासकर भारतीय राजनीति में। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी चाहती हैं कि रोजाना के काम में फर्क और असहमति को मीडिया को मुद्दा नहीं बनाना चाहिए। इस तरह के मुद्दों को इस तरह नहीं पेश करना चाहिए कि दो बड़े मंत्रियों के बीच अहं का टकराव है। खुर्शीद ने भाजपा नेता अरुण जेटली के इस दावे का उपहास उड़ाया कि भ्रष्टाचार निवारण कानून की धारा 13(1)(डी)(2) के तहत चिदंबरम लाइसेंस आवंटी को अनुचित आर्थिक लाभ देने के दोषी हैं। कानून मंत्री ने कहा, क्या आप विश्लेषण कर सकते हैं कि यह आपराधिक दोष कैसे हुआ। योजना आयोग के दस्तावेज के आधार पर हमारी राय यह थी कि हम वहां धन हासिल करने के लिए नहीं थे बल्कि यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि अधिकतम कवरेज हो, लोगों को सस्ती दर पर टेलीफोन सुविधा मिल सके।खुर्शीद ने दावा किया, आज विश्व में न्यूनतम दर पर सबसे अधिक कवरेज भारत में है। अगर यह हमारी नीति थी तो हम सफल रहे। उन्होंने कहा कि एक खास कीमत पर स्पेक्ट्रम देने का 2001 का फैसला मिस्टर जेटली की सरकार ने लिया था। राजग सरकार ने 2003 में अतिरिक्त लाइसेंस आवंटित करने का फैसला किया था।

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