Thursday, July 12, 2012

चिदंबरम के गले में फंसा मध्यम वर्ग पर बयान

संगठन और सरकार पर केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद की बेबाकी से मचा घमासान शांत नहीं हुआ कि अब गृहमंत्री पी. चिदंबरम का मध्यम वर्ग पर तंज उनके गले की हड्डी बन गया। बेंगलूर में सलमान के साथ ही संयुक्त प्रेसवार्ता में मध्यम वर्ग की मानसिकता पर उठाए गए सवाल को लेकर मचे बवाल के बाद गृहमंत्री को भी सफाई देनी पड़ी। साथ ही कांग्रेस को भी उनके बचाव में उतरना पड़ा। खुद के फिर से वित्तमंत्री बनने के कयासों के बीच चिदंबरम ने कहा था कि लोग पानी और आइसक्रीम पर तो 15-20 रुपये आसानी से खर्च कर देते हैं, लेकिन चावल-गेहूं की कीमत में एक रुपये की बढ़त बर्दाश्त नहीं कर पाते। सरकार हर चीज को मिडिल क्लास के नजरिये से नहीं देख सकती। इस बयान पर हंगामा मचने से नाराज चिदंबरम ने गृह मंत्रालय से बयान जारी करवा सफाई दी। बयान में कहा गया है कि चिदंबरम ने किसी का मजाक नहीं उड़ाया है। उन्होंने मध्यम वर्ग नहीं, बल्कि हम शब्द का प्रयोग किया था। इस मसले पर विपक्ष की तरफ से मचे बवाल पर कांग्रेस प्रवक्ता रेणुका चौधरी ने कहा कि चिदंबरम के बयान को गलत परिप्रेक्ष्य में पेश किया जा रहा है। मंगलवार को बेंगलूर में चिदंबरम ने भारत में आम आदमी पर बढ़ते महंगाई के बोझ से जुड़े सवाल पर समाज के अलग-अलग वर्गो के लिए सरकारी कार्यक्रमों की बात की थी। चिदंबरम का दावा था कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से फायदा हो रहा है। गांवों में गरीबों के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम मनरेगा चलाया जा रहा है, जिससे करोड़ों बच्चों को दिन में कम से कम एक बार खाना मिल रहा है। उन्होंने कहा था कि अगर आप गन्ने का दाम बढ़ाते हैं, तो चीनी के दाम भी बढ़ेंगे ही। अगर आप गेहूं, अनाज के दाम बढ़ाते हैं तो ग्राहक को चावल और आटे के लिए ज्यादा खर्च करना पड़ेगा। इसके साथ ही उन्होंने जोड़ा था कि मैंने एक बार यह लिखा भी है कि हम पानी की एक बोतल के लिए 15 रुपये देने को तैयार हैं, लेकिन एक किलो आटे या चावल में एक रुपये का बढ़ना हमें गवारा नहीं है।

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