Monday, April 30, 2012

प्रणब ने बंद कराई थी टाट्रा ट्रक सौदे की जांच!


टाट्रा ट्रक सौदे को लेकर अगर 2005 में उठी शिकायतों पर शिद्दत से कार्रवाई हुई होती तो घोटाले का जिन्न आज सरकार के सिर पर न नाच रहा होता। सौदे की पड़ताल से जुड़ी फाइलें कहती हैं कि इस मामले में उठी शिकायतों की जांच को तत्कालीन रक्षामंत्री प्रणव मुखर्जी की इजाजत से जून 2005 में बंद किया गया था। 2005 के मध्य में मीडिया में शिकायतें आई थीं कि भारत टाट्रा ट्रकों की खरीद एजेंट के जरिए रहा है और टाट्रा सिपोक्स कंपनी इसकी मूल निर्माता नहीं है। सौदे में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी बीईएमएल की भूमिका महज पुर्जे जोड़ने वाले की ही है। इसमें कोई तकनीकी हस्तांतरण नहीं हो रहा। 24 मार्च को शुरू हुई सीबीआइ जांच में भी यही आरोप लगाए गए हैं। दैनिक जागरण के पास मौजूद दस्तावेजों के मुताबिक, 2005 में उठी शिकायत पर रक्षा उत्पादन विभाग ने जांच कराई थी। ब्रातिस्वाला, स्लोवाकिया में भारतीय राजदूत से रिपोर्ट मांगने के साथ ही टाट्रा कंपनी के प्रबंधन से स्पष्टीकरण तलब किया था। इसके आधार पर तैयार विभागीय जांच रिपोर्ट में टाट्रा सिपोक्स, यूके को मूल उपकरण निर्माता का सर्टिफिकेट भी दिया गया था। मंत्रालय ने इस निष्कर्ष तक पहुंचने में टाट्रा सिपोक्स के निदेशक जोजेफ मेजस्की के जवाब को भी आधार बनाया था, जिसमें कहा गया था कि टाट्रा सिपोक्स यूके को टेनेक्स (2002 में टाट्रा सिपोक्स एएस स्लोवाकिया का नाम बदला) चेक गणराज्य की टाट्रा एएस की ओर से दस्तखत का अधिकार है। रोचक बात है कि रक्षा मंत्रालय ने रिपोर्ट में मेजेस्की के जवाब को जगह दी है, जो अगस्त 2004 तक आर्थिक धोखाधड़ी मामले में 22 माह जेल काट चुके हैं। टाट्रा ट्रक खरीद पर भारतीय राजदूत की रिपोर्ट में कहा गया कि वाहनों की आपूर्ति मूल उपकरण निर्माता अपनी ही सहयोगी कंपनियों के जरिए कर रही है। उसके अलावा खरीद का और कोई रास्ता उपलब्ध नहीं है। हालांकि तत्कालीन भारतीय राजदूत एमके लोकेश (इन दिनों अबूधाबी में भारत के राजदूत) से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा,मामला पुराना है, लिहाजा कुछ कहना संभव नहीं है। रक्षा उत्पादन विभाग की रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि टाट्रा सिपोक्स से उपकरण खरीदने के अलावा उसके पास कोई विकल्प नहीं है। विभाग ने रिपोर्ट और कैबिनेट को भेजे नोट में ट्रकों के प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की संभावना नकारते हुए कहा,सेना के ऑर्डर का शेड्यूल इससे मेल नहीं खाता। पर्याप्त मांग के अभाव में बीईएमएल के लिए ट्रकों का भारतीयकरण करने संभव नहीं है। अंत में टिप्पणी है कि शिकायतों व जांच को रक्षामंत्री के संज्ञान में लाया गया और उनकी इजाजत पर इसे बंद कर दिया गया। आरोपों के घेरे में आए बीईएमएल के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक वीआरएस नटराजन भी यही दलीलें दे रहे हैं। मसलन, चेकोस्लोवाकिया के विभाजन के बाद टाट्रा कंपनी भी दो हिस्सों में बंट गई। दोनों कंपनियों ने टाट्रा सिपोक्स यूके को अधिकृत किया है। हालांकि नटराजन से पूछताछ के बाद दर्ज सीबीआइ की एफआइआर इन दलीलों से प्रभावित नहीं नजर आई।

Monday, April 23, 2012

उत्तर प्रदेश पुलिस में 60 फीसदी सीटें खाली


देश में अपराध के सबसे ऊंचे ग्राफ वाले राज्य उत्तर प्रदेश की पुलिस में 60 प्रतिशत पद रिक्त हैं। जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह आंकड़ा 25 फीसदी है। ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड स्टडी की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक आंध्र में 31 प्रतिशत, बिहार में 28 प्रतिशत और गुजरात में 27 प्रतिशत, तमिलनाडु में 16 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 11 प्रतिशत, राजस्थान व कर्नाटक में 11 प्रतिशत और मध्य प्रदेश में 10 प्रतिशत पुलिस बलों के पद रिक्त हैं। गृह मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को सचेत करने वाली बताया है। उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जातियों के खिलाफ हुए प्रताड़ना और हत्या जैसे अपराधों के मामलों में जबर्दस्त बढ़ोतरी के बावजूद राज्य में 1 जनवरी, 2011 तक पुलिस बल के स्वीकृत तीन लाख 68 हजार 260 में सिर्फ एक लाख 49 हजार 68 पदों पर ही तैनाती हुई है। राष्ट्रीय स्तर पर कुल स्वीकृत 20 लाख 64 हजार 370 पदों में पांच लाख से ज्यादा पद खाली पड़े हैं, जो कुल पदों का 25 प्रतिशत है। वर्ष 2010 के दौरान उत्तर प्रदेश में 4,401 हत्याओं समेत कुल 22 लाख 87 हजार 799 आपराधिक मामले दर्ज किए गए, जो भारत के किसी भी राज्य के मुकाबले सबसे ज्यादा हैं। राज्य में अनुसूचित जातियों के खिलाफ भी सबसे अधिक 6,272 अपराध हुए, जो पूरे देश के 32,712 मामलों का 19.2 प्रतिशत है। पिछले सप्ताह आंतरिक सुरक्षा पर हुई मुख्यमंत्रियों की बैठक में गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड स्टडी के इस अध्ययन को सचेत हो जाने का संकेत करार दिया। उन्होंने राज्यों से अनुरोध करते हुए कहा कि आने वाली चुनौतियों का सामना करने की क्षमता बढ़ाने के लिए तुरंत आवश्यक कदम उठाए जाएं। इसी बैठक में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी कहा था कि कोई भी ढांचा या प्रणाली उसको चलाने वाले लोगों से बेहतर नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा कि हमें पुलिस बल में संख्या बढ़ाने के साथ ही गुणवत्ता बढ़ाने की भी जरूरत है। पर्याप्त संख्या में पुलिस बल नहीं होने से राज्य सरकारों को कई बार काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। किसी भी महत्वपूर्ण समस्या से निपटने के लिए केंद्रीय बलों पर निर्भर होना पड़ता है। इसके अलावा प्रतिदिन की समस्याओं से निजात पाने में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस खुलासे के बाद हो सकता है कि कोई उचित कदम उठाया जाए।

पार्षदों का चिट्ठा, 21 फीसदी पर दर्ज आपराधिक मुकदमे


दिल्ली की तीन नगर निगमों में जीत कर पहुंचे पार्षदों में से 21 फीसदी ऐसे हैं, जिन पर आपराधिक मुकदमा दर्ज है। भाजपा में ऐसे पार्षदों की तादात 24 फीसदी है, जबकि कांग्रेस में 21 फीसदी है। यह दावा किया है कि एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक राइटस (एडीआर) ने। एडीआर ने राज्य चुनाव आयोग को प्रत्याशियों द्वारा जमा कराये गये शपथ पत्र के विश्लेषण के बाद यह आंकड़े जारी किये हैं। एडीआर अब तक 272 में से 236 नवनिर्वाचित पार्षदों के ही शपथ पत्र का विश्लेषण किया है और उसका दावा है कि अन्य पार्षदों का शपथ पत्र हासिल होते ही नये आंकड़े जारी होंगे। एडीआर के मुताबिक 236 में से 49 पार्षदों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले दर्ज होने की जानकारी शपथ पत्र में दी है। इनमें से भाजपा के 121 में से 29, कांग्रेस के 66 में से 14, बसपा के 14 में से दो, इनेलो के तीन में से एक पार्षद शामिल हैं। इनमें 37 पुरुष और 12 महिलाएं हैं। इन 49 में से 12 पार्षदों पर हत्या, हत्या का प्रयास, अपहरण, डकैती, जबरन वसूली के मामले दर्ज हैं, इनमें से भाजपा के 5, कांग्रेस के चार और बसपा का एक पार्षद हैं। जाकिर नगर वार्ड नंबर 205 से चुने गये शोएब दानिश पर चार मुकद्मे दर्ज हैं, इनमें से दो मुकदमे हत्या के प्रयास के हैं। इन 236 पार्षदों में से 120 करोड़पति हैं। इनमें सबसे अधिक संपत्ति का ब्योरा देने वाली पार्षद पंजाबी बाग की सतविंद्र कौर सिरसा हैं, उन्होंने 112 करोड़ रुपये की संपत्ति का ब्योरा दिया है। 126 नवादा से चुनी गई निर्दलीय नरेश बलयान (57.23 करोड़ रुपये) व सुभाष नगर 152 से चुनी गई कांग्रेस की मंजू सेतिया (32.79 करोड़ रुपये) हैं। भाजपा पार्षदों की औसत संपत्ति 3.19 करोड़ रुपये प्रति पार्षद, कांग्रेसी पार्षदों की 2.46 करोड़, बसपा पार्षदों की 1.79 करोड़ रुपये प्रति पार्षद, इनेलो पार्षदों की औसत संपत्ति 4.95 करोड़ रुपये प्रति पार्षद है।

राज्यों ने लगाया केंद्र पर उपेक्षा का आरोप


आंतरिक सुरक्षा पर आयोजित मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में कई राज्यों ने अपनी उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कहा कि आंतरिक सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मामले में कोई भी फैसला लेने से पहले केंद्र सरकार को उन्हें पूरी तरह विास में लेना चाहिए। इस मामले में गैर यूपीए शासित सरकारों के मुख्यमंत्री मुखर थे। सैन्य व असैन्य इकाइयों के बीच तनाव से सुरक्षा पर प्रतिकूल असर : सेना के साथ हाल ही में हुए विवाद के लिए केंद्र की आलोचना करते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि असैन्य एवं सैन्य इकाइयों के बीच में तनाव से देश के आंतरिक सुरक्षा हालात पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना तय है। सम्मेलन में उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मौजूदा केंद्र सरकार आम आदमी में हमारी रक्षा तैयारियों को लेकर विास का संचार करने में विफल रही। देश की आंतरिक सुरक्षा को अलग-थलग करके नहीं देखा जा सकता है क्योंकि यह बाह्य सुरक्षा हालात से जुड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि केंद्र को अविास एवं संदेह के इस माहौल को खत्म करने के लिए सक्रि य कदम उठाने चाहिए जो हाल ही में हुए विवादों के कारण पैदा हुआ है। सुरक्षा से जुड़े महत्वपूर्ण मसलों पर राज्य सरकारों से सलाह-मशविरा नहीं करने के लिए केंद्र की आलोचना करते हुए मोदी ने कहा कि आरपीएफ व बीएसएफ कानून में संशोधन कर केंद्र राज्य के भीतर राज्यका गठन कर रहा है। सीबीआई सहित केंद्रीय एजेंसियों का राजनीतिकरण बढ़ रहा है। उनका इस्तेमाल केंद्र में सत्ताधारी दल के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को निशाना बनाने में हो रहा है। इस रुख से सीबीआई जैसी एजेंसियों की विसनीयता के साथ समझौता हुआ है और यह चिन्ता की बात है क्योंकि ये एजेंसियां आंतरिक सुरक्षा के मसलों में शामिल हैं। उन्होंने केंद्र के इन दावों पर भी सवाल उठाया कि 97 फीसद खुफिया खबरें केंद्रीय एजेंसियों की ओर से आ रही है और राज्य एजेंसियों की ओर से केवल तीन प्रतिशत खबरें आती हैं। खुली भारत-नेपाल सीमा चिंता का विषय: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज कहा कि प्रदेश से सटी नेपाल की 550 किलोमीटर लंबी सीमा पर निगरानी की विशेष व्यवस्था की आवश्यकता है ताकि किसी भी संभावित राष्ट्रविरोधी गतिविधि को रोका जा सके। अखिलेश ने पुलिस के आधुनिकीकरण के लिए राज्य को आवंटित धनराशि 100 करोड रुपए से बढ़ाकर 800 करोड़ रुपए करने की मांग की। उन्होंने 2013 में होने जा रहे कुंभ मेले का जिक्र करते हुए केंद्र की मदद मांगी ताकि कुंभ मेले का आयोजन सफलतापूर्वक किया जा सके। उन्होंने गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर को मेगा सिटी पोलिसिंग परियोजनामें शामिल करने की मांग करते हुए कहा कि दोनों ही जिलों की पुलिस को अत्याधुनिक हथियार और उपकरण मुहैया कराए जाने चाहिए। राज्य पुलिस की क्षमता में सुधार और आबादी के हिसाब से पुलिस की उपलब्धता का अनुपात राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप लाने के लिए 5000 करोड़ रुपए की केंद्रीय मदद मांगी। राज्यों के अधिकार छीन रहा है केंद्र : तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता ने विधेयकों को पारित कराकर केंद्र द्वारा राज्यों के अधिकार छीनने की बढ़ती प्रवृत्ति के प्रति सचेत करते हुए आज कहा कि ऐसा करना राज्य सरकारों के प्रति असम्मान दर्शाना है। सम्मेलन में जयललिता ने संप्रग सरकार पर चहुंतरफा निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि राष्ट्रीय आतंकवाद रोधी केंद्र (एनसीटीसी) के जरिए केंद्र सरकार राज्यों के अधिकारक्षेत्र में घुसपैठ कर रही है। यह उन संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ है जो राज्यों की सूची में पुलिस को तरजीही दर्जा प्रदान करता है। उन्होंने दावा किया कि केंद्र ने बंगाल की खाड़ी में भारत-अमेरिकी संयुक्त नौसैनिक अभ्यास का एकतरफा फैसला किया और उसने राज्य सरकार को विास में नहीं लिया। एनसीटीसी का विरोध कर रही मुख्यमंत्री ने कहा कि इसका मतलब यह होगा कि केंद्र सरकार संवैधानिक रूप से चुनी हुई राज्य सरकारों का असम्मान कर रही है। उन्होंने उम्मीद जताई कि केंद्र जब कभी भी कोई महत्वपूर्ण फैसला करेगा, राज्य सरकारों के साथ पहले से सलाह मशविरा करने के सिद्धांत का पालन करेगा। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात का भय है कि विधेयक पारित कराके या अधिसूचना जारी कर राज्यों को प्रदत्त अधिकारों के हनन की प्रवृत्ति उभर रही है। आतंकवाद का मिलकर मुकाबला क्यों नहीं : मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि यह बात उनकी समझ से परे है कि जब हम वामपंथी उग्रवाद जैसी समस्या से संयुक्त रू प से लड़ सकते हैं तो इस माडल पर आतंकवाद से क्यों नहीं लड़ सकते। आंतरिक सुरक्षा की किसी भी स्थिति से निपटने का सर्वप्रथम दायित्व राज्य सरकारों का है। अत: राज्यों को मजबूत किए बिना आंतरिक सुरक्षा को सुदृढ़ नहीं किया जा सकता। चौहान ने कहा कि नीति निर्धारण एवं नये कानूनों के बनाने के पूर्व राज्य सरकारों से भी विचार-विमर्श किया जाए न कि स्वयंसेवी संस्थाओं एवं अन्य लोगों से ड्राफ्ट प्रस्ताव के आधार पर ड्राफ्ट तैयार कर राज्य सरकारों को टिप्पणी के लिए भेजा जाए। उन्होंने कहा कि यूएपी एक्ट में एकतरफा संशोधन इसका उदाहरण है। विगत समय में यह देखने में आया है कि केंद्र आंतरिक सुरक्षा के बहुत से विषयों पर एकतरफा निर्णय ले रही है। चाहे वह एनसीटीसी का गठन हो या फिर देश के अन्य भागों में लागू करने के लिए बीएसएफ एक्ट या आरपीएफ एक्ट के प्रस्तावित संशोधन हों। उन्होंने कहा कि साम्प्रदायिक और लक्षित हिंसा निवारण विधेयक जैसे अतिसंवेदनशील मुद्दे पर सभी साझेदारों से विचार विमर्श किये बगैर इसे संसद में लाने का प्रयास किया गया। ऐसा प्रयास संघात्मक ढांचे की भावना के विपरीत और केन्द्रीयकरण की तरफ एक बढ़ता कदम है। एनसीटीसी पर राष्ट्रीय सहमति जरूरी : छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा कि एनसीटीसी की स्थापना के लिए राष्ट्रीय सहमति आवश्यक है जिससे देश के संघीय ढांचे पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़े। उन्होंने कहा कि नक्सलवाद व आतंकवाद से केंद्र एवं राज्य सरकारों के समन्वित प्रयासों से ही निपटा जा सकता है। इसके लिए स्वयं उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर समन्वित रणनीति की आवश्यकता पर बल दिया है। एएफएसपीए और श्रीनगर से 24 बंकर हटें : जम्मू कश्मीर में सुरक्षाबलों की तैनाती कम करने पर जोर देते हुए राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि सभी महत्वपूर्ण मुद्दों के समाधान के लिए वार्ता ही सबसे बढ़िया तरीका है। उमर ने सम्मेलन में भारत-पाक संबंधों से लेकर कश्मीर सहित कई मुद्दों पर अपनी बात रखी। उन्होंने सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून ( एएफएसपीए) को हटाने और श्रीनगर शहर से 24 बंकर हटाने का मुद्दा भी उठाया। पाकिस्तान के साथ व्यापारिक संबंध मजबूत करने के लिए उन्होंने जम्मू कश्मीर और पाक अधिकृत कश्मीर के बीच टेलीफोन कनेक्शन की बात की। उन्होंने उम्मीद जताई कि 2011 के दौरान जो शांति रही, वह आगे भी रहेगी। उन्होंने कहा कि राज्य के सुरक्षा माहौल में चूंकि अब काफी बदलाव आ गया है, एएफएसपीए को जारी रखने की समीक्षा होनी चाहिए । मैं उन जिलों और क्षेत्रों से एएफएसपीए हटाने की वकालत नहीं कर रहा हूं, जो अभी भी उग्रवाद से प्रभावित हैं लेकिन उन जिलों और क्षेत्रों से एएफएसपीए को हटाने की शुरूआत होनी चाहिए, जो आतंकवादी गतिविधियों से प्रभावित नहीं हैं।

Monday, April 16, 2012

58 फीसदी दिल्लीवालों ने डाले वोट


अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग करने के मामले में दिल्ली वाले इस बार दबंग निकले। तीन हिस्सों में विभाजित नगर निगम चुनाव में रविवार को रिकार्ड 55 से 58 फीसदी मतदान हुआ। कुछ बूथों पर मतदान रात नौ बजे तक चलता रहा। सबसे अधिक 65 फीसदी मतदान न्यू अशोक नगर वार्ड में हुआ। छावला में भी 62 फीसदी मतदाताओं ने वोट डाले। सबसे कम 43 फीसदी मतदान पॉश इलाके वसंत विहार में हुआ। हालांकि पिछले नगर निगम चुनाव में यहां केवल 28 फीसदी मतदान हुआ था। वोटिंग मशीनों में बंद 2423 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला अब 17 अप्रैल को होगा। बता दें कि 2007 के एमसीडी चुनाव में 42.78 प्रतिशत मतदान हुआ था। जबकि 2002 में करीब 52 फीसदी वोट पड़े थे। दिल्ली में गठित होने वाले तीन नए निगमों में पूर्वी दिल्ली नगर निगम में 64 वार्ड हैं जबकि उत्तरी व दक्षिणी दिल्ली नगर निगमों में 104-104 वार्ड हैं। मतदान करने में महिलाएं भी पीछे नहीं रहीं। 50 फीसदी हिस्सेदारी मिलने के बाद महिलाओं के मतदान में काफी बढ़ोतरी सामने आई है। साढ़े नौ घंटे तक मतदान प्रक्रिया में कुछ इलाकों में छिटपुट घटनाएं भी हुईं, तो दो गांवों सनौढ़ व लाडपुर के मतदाताओं ने चुनाव का बहिष्कार किया। हर बार की तरह पॉश कालोनियों में मतदान का प्रतिशत काफी कम रहा। 272 सीटों पर हुए मतदान में मतदाताओं की संख्या करीब 1.15 करोड़ थी, जिनमें से 44 प्रतिशत महिलाएं थीं। सुबह आयोग को कई इलाकों में वोटिंग मशीन खराब होने की सूचना मिली, जिसे समय रहते ठीक कर लिया गया। मतदान के बाद राज्य निर्वाचन आयुक्त राकेश मेहता ने कहा कि काफी अच्छा अनुभव रहा। मतदान शांतिपूर्ण तरीके से हुआ। इसके लिए पुलिस आयुक्त बीके गुप्ता को फोन पर बधाई भी दी और मतदान में भारी संख्या में मतदाताओं के भाग लेने पर आभार भी जताया। उन्होंने कहा कि शुरुआती दौर में मतदान का प्रतिशत काफी धीमा रहा। सुबह 11 बजे तक 15 से 18 फीसदी तक ही वोट पड़े थे। वोटिंग मशीन खराब होने की सूचना कई जगहों से मिली थी जिसे समय रहते ठीक करा लिया गया था। कुछ गांव के लोगों ने मतदान का बहिष्कार भी किया। उनके अनुसार सनौढ गांव के लोगों ने इसलिए मतदान का बहिष्कार किया क्योंकि उनके यहां वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जा रहा है जिसका वे विरोध कर रहे हैं। गांव लाडपुर के बारे में उनका कहना था कि यहां के मतदाता कई सालों से चकबंदी की मांग कर रहे हैं जो अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। इन दोनों गांवों में करीब सात हजार वोट है। गांव सनौढ वार्ड नंबर तीन से संबंधित है जबकि लाडपुर वार्ड नंबर 29 से। कई प्रमुख लोगों के नाम मतदाता सूची से गायब भी मिले। हाशमी नहीं डाल पाए वोट : दिल्ली से राज्यसभा के कांग्रेसी सांसद परवेज हाशमी रविवार को दिल्ली नगर निगम चुनाव में वोट नहीं डाल पाए। उनके परिवार के लोग भी वोट नहीं डाल पाए। हाशमी और उनके परिजनों का नाम मतदाता सूची से गायब था। हाशमी ने कहा कि वह इसकी शिकायत राज्य निर्वाचन आयोग से करेंगे। उन्होंने बताया कि जब वह परिजनों के साथ ओखला में वोट डालने गए, तो पता चला कि मतदाता सूची में उनका और उनके परिजनों का नाम ही नहीं है। सिनेमाघरों व इंडिया गेट का किया रुख : ्रदिल्ली नगर निगम चुनाव ने सिनेमाघरों तथा इंडिया गेट की भी रौनक बढ़ा दी। मतदान के बाद कुछ लोग अपने घरों में बैठे तो कुछ ने इंडिया गेट व सिनेमाघरों का रुख किया। दूसरी ओर इंडिया गेट की रौनक भी देखते ही बनी। वहां भीड़ अन्य दिनों की तरह ही थी, लेकिन यहां होने वाली चर्चाएं चुनाव विशेष ही थी। यहां बैठे अधिकांश लोग एमसीडी चुनाव पर ही चर्चा कर रहे थे। सड़क, सीवर, सफाई के नाम पर मतदान : सड़क, सीवर, सफाई के नाम पर हुए दिल्ली नगर निगम चुनावों में लोगों ने अपना-अपना मतदान किया। आजादी के बाद से मतदान कर रहे बुजुर्गो से लेकर पहली बार मतदान कर रहे युवाओं तक ने विकास के नाम पर ही अपने मत का प्रयोग किया। हालांकि कुछ ऐसे भी लोग थे जिन्हें शायद निगम के निकाय चुनाव और दिल्ली सरकार व केंद्र सरकार के मुद्दे में फर्क के बारे में जानकारी नहीं थी। शायद यही वजह है कि दिल्ली नगर निगम के चुनाव में मतदाता देश में बढ़ती महंगाई और भ्रष्टाचार को इस निकाय चुनाव से जोड़ रहे थे। नए निगमों के गठन की प्रशासनिक तैयारी पूरी : दिल्ली के तीनों नए नगर निगमों के गठन के लिए मतदान तो संपन्न हो ही गया, प्रशासनिक तैयारियां भी पूरी कर ली गई हैं। 21 अप्रैल तक तीनों निगमों का विधिवत गठन हो जाएगा। तीनों नए निगमों के बीच आपसी समन्वय स्थापित करने के लिए दिल्ली सरकार के तहत गठित स्थानीय निकाय निदेशालय ने नए निगमों को लेकर सभी प्रशासनिक तैयारियां पूरी कर ली हैं।