यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को कितना फायदा होगा, वह तो नतीजे बताएंगे, लेकिन उसके बहाने देश के मुस्लिम समुदाय को फायदा जरूर होने जा रहा है। चुनाव नजदीक आने के साथ ही मुस्लिमों को नौकरियों में आरक्षण की कागजी कार्रवाई लगभग पूरी होने को है। संकेत साफ हैं कि उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले सरकार पिछड़ों के कोटे से ही मुसलमानों को आरक्षण का एलान कर देगी। सरकार और कांग्रेस के रणनीतिकारों की मानें तो उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव भी आगामी फरवरी उत्तराखंड व पंजाब राज्यों के साथ ही हो सकते हैं। ऐसे में मुस्लिम आरक्षण के मामले में अब और देरी नहीं होगी। कांग्रेस की चुनावी तैयारियां भी उसी लिहाज से चल रही हैं, जिसमें उसका सबसे ज्यादा फोकस उत्तर प्रदेश पर है। सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने मुस्लिम आरक्षण पर अपनी कवायद पूरी कर ली है। उसने रंगनाथ मिश्र की अगुवाई वाले धार्मिक व भाषाई अल्पसंख्यक आयोग की रिपोर्ट के आधार पर मुस्लिम आरक्षण के मामले में सभी राज्यों व लगभग दो दर्जन केंद्रीय मंत्रालयों से उनकी राय मांगी थी। इसी परिप्रेक्ष्य में केंद्र सच्चर कमेटी की सिफारिशों व आंध्र प्रदेश, कर्नाटक व केरल में लागू मुस्लिम आरक्षण का भी परीक्षण कर चुकी है। सूत्र बताते हैं कि मुस्लिम आरक्षण पर सारी कवायद के बाद सरकार पिछड़ों के 27 प्रतिशत आरक्षण में से ही अल्पसंख्यकों को पिछड़ा मानते हुए 8.4 प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान को सबसे मुफीद मान रही है, जिसमें छह प्रतिशत मुस्लिमों को और 2.4 प्रतिशत बाकी अल्पसंख्यकों के लिए हो सकता है। हालांकि, इस फैसले पर सपा, राजद व जद-यू जैसे गैर कांग्रेस दलों के पिछड़े नेताओं के विरोध की आशंका भी सरकार को है, लेकिन कांग्रेस चुनावी लिहाज से इसमें भी अपना फायदा व विरोधियों का नुकसान देख रही है। सूत्रों का कहना है कि पिछड़े नेताओं ने यदि इसका ज्यादा विरोध किया तो सरकार के सामने आरक्षण के मौजूदा प्रावधानों में बदलाव के लिए संविधान संशोधन के सिवा कोई रास्ता नहीं होगा। तब सरकार उस हद तक जा सकती है। अल्पसंख्यक कार्य मंत्री सलमान खुर्शीद ने भी गुरुवार को यहां संसद भवन परिसर में पत्रकारों से बातचीत में कहा, सरकार ने मुस्लिम आरक्षण का जो वादा किया था, अब उसका समय आ गया है। उन्होंने कहा, यह मुद्दा दो साल से सरकार के एजेंडे में था, केंद्रीय कैबिनेट इस पर जल्द ही फैसला करेगा। हालाकि, उन्होंने इस बाबत निर्णय का निश्चित समय नहीं बताया। हालांकि जब खुर्शीद से पूछा गया कि यह फैसला यूपी विधानसभा चुनाव से पहले आ रहा है तब उन्होंने तपाक से कहा, क्या हमें राज्य में चुनाव से पहले काम करना छोड़ देना चाहिए। हम जो कुछ सोच रहे हैं, वह हमारी जिम्मेदारी है और हम उसे कर रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री मायावती पर निशाना साधते हुए कहा, यदि वह चिंतित हैं तो वह मुसलमानों को ऐसा ही आरक्षण देने को स्वतंत्र हैं। हम ऐसा केंद्र सरकार की नौकरियों के लिए कर रहे हैं। यदि वह चिंतित हैं तो वह भी उत्तर प्रदेश में ऐसा ही कर सकती हैं। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने भी गत दिनों मुस्लिमों के एक सम्मेलन में इसमें अब और देरी न होने की बात कही थी।
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