Monday, April 30, 2012

प्रणब ने बंद कराई थी टाट्रा ट्रक सौदे की जांच!


टाट्रा ट्रक सौदे को लेकर अगर 2005 में उठी शिकायतों पर शिद्दत से कार्रवाई हुई होती तो घोटाले का जिन्न आज सरकार के सिर पर न नाच रहा होता। सौदे की पड़ताल से जुड़ी फाइलें कहती हैं कि इस मामले में उठी शिकायतों की जांच को तत्कालीन रक्षामंत्री प्रणव मुखर्जी की इजाजत से जून 2005 में बंद किया गया था। 2005 के मध्य में मीडिया में शिकायतें आई थीं कि भारत टाट्रा ट्रकों की खरीद एजेंट के जरिए रहा है और टाट्रा सिपोक्स कंपनी इसकी मूल निर्माता नहीं है। सौदे में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी बीईएमएल की भूमिका महज पुर्जे जोड़ने वाले की ही है। इसमें कोई तकनीकी हस्तांतरण नहीं हो रहा। 24 मार्च को शुरू हुई सीबीआइ जांच में भी यही आरोप लगाए गए हैं। दैनिक जागरण के पास मौजूद दस्तावेजों के मुताबिक, 2005 में उठी शिकायत पर रक्षा उत्पादन विभाग ने जांच कराई थी। ब्रातिस्वाला, स्लोवाकिया में भारतीय राजदूत से रिपोर्ट मांगने के साथ ही टाट्रा कंपनी के प्रबंधन से स्पष्टीकरण तलब किया था। इसके आधार पर तैयार विभागीय जांच रिपोर्ट में टाट्रा सिपोक्स, यूके को मूल उपकरण निर्माता का सर्टिफिकेट भी दिया गया था। मंत्रालय ने इस निष्कर्ष तक पहुंचने में टाट्रा सिपोक्स के निदेशक जोजेफ मेजस्की के जवाब को भी आधार बनाया था, जिसमें कहा गया था कि टाट्रा सिपोक्स यूके को टेनेक्स (2002 में टाट्रा सिपोक्स एएस स्लोवाकिया का नाम बदला) चेक गणराज्य की टाट्रा एएस की ओर से दस्तखत का अधिकार है। रोचक बात है कि रक्षा मंत्रालय ने रिपोर्ट में मेजेस्की के जवाब को जगह दी है, जो अगस्त 2004 तक आर्थिक धोखाधड़ी मामले में 22 माह जेल काट चुके हैं। टाट्रा ट्रक खरीद पर भारतीय राजदूत की रिपोर्ट में कहा गया कि वाहनों की आपूर्ति मूल उपकरण निर्माता अपनी ही सहयोगी कंपनियों के जरिए कर रही है। उसके अलावा खरीद का और कोई रास्ता उपलब्ध नहीं है। हालांकि तत्कालीन भारतीय राजदूत एमके लोकेश (इन दिनों अबूधाबी में भारत के राजदूत) से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा,मामला पुराना है, लिहाजा कुछ कहना संभव नहीं है। रक्षा उत्पादन विभाग की रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि टाट्रा सिपोक्स से उपकरण खरीदने के अलावा उसके पास कोई विकल्प नहीं है। विभाग ने रिपोर्ट और कैबिनेट को भेजे नोट में ट्रकों के प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की संभावना नकारते हुए कहा,सेना के ऑर्डर का शेड्यूल इससे मेल नहीं खाता। पर्याप्त मांग के अभाव में बीईएमएल के लिए ट्रकों का भारतीयकरण करने संभव नहीं है। अंत में टिप्पणी है कि शिकायतों व जांच को रक्षामंत्री के संज्ञान में लाया गया और उनकी इजाजत पर इसे बंद कर दिया गया। आरोपों के घेरे में आए बीईएमएल के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक वीआरएस नटराजन भी यही दलीलें दे रहे हैं। मसलन, चेकोस्लोवाकिया के विभाजन के बाद टाट्रा कंपनी भी दो हिस्सों में बंट गई। दोनों कंपनियों ने टाट्रा सिपोक्स यूके को अधिकृत किया है। हालांकि नटराजन से पूछताछ के बाद दर्ज सीबीआइ की एफआइआर इन दलीलों से प्रभावित नहीं नजर आई।

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