रेल मंत्री पद से इस्तीफा दे चुके तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिनेश त्रिवेदी का मन यह मानने को तैयार ही नहीं है कि उनसे मात्र इसलिए इस्तीफा लिया गया कि उन्होंने रेल किराया में वृद्धि का प्रस्ताव किया। उन्होंने कहा कि अगर रेल किराया बढ़ाने पर उन्हें हटाया गया तो वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी को भी हटाया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने भी तो आम बजट में विभिन्न वस्तुओं के दाम महंगे किए हैं। त्रिवेदी के चेहरे पर आज किसी तरह का तनाव नहीं दिखा और एक तरह से वे दार्शनिक मुद्रा में नजर आए। क्या आपको मोहरा बनाया गया, इस सवाल पर त्रिवेदी ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि मोहरा बनाया गया। पार्टी की लीडर (ममता बनर्जी) ने कहा कि इस्तीफा दो तो मैंने यह नहीं पूछा क्यों और इस्तीफा दे दिया। मैंने किसी का भरोसा नहीं तोड़ा।’ यह पूछे जाने पर कि उन्होंने क्या गलती की थी, त्रिवेदी ने कहा, ‘यह सवाल लोग पूछें। एक अनुशासित सिपाही के नाते मुझे यह सवाल नहीं करना चाहिए। रेलवे राष्ट्रीय संपदा है और एक अनुशासित सिपाही के नाते मुझे अनुशासन का पालन करना होगा।’
क्या वह रेलवे को मझधार में छोड़कर जा रहे हैं, इस सवाल पर उन्होंने कहा, ‘व्यवस्था ऐसी ही है। मैं किसी को दोष नहीं दे रहा हूं और मुझे किसी से कोई शिकायत भी नहीं है। हम व्यवस्था का अंग हैं।’ त्रिवेदी ने कहा, ‘मैंने अपना काम किया, मुझे कोई अफसोस नहीं है। प्रधानमंत्री सहित हर व्यक्ति ने मुझे सहयोग दिया। मुझे खुशी है कि मैंने अपना कर्तव्य निभाया।’ दिनेश त्रिवेदी ने नए रेल मंत्री मुकुल राय पर कोई भी टिप्पणी करने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा, ‘मुझे इसमें नहीं पड़ना है’। पार्टी के ही लोगों द्वारा षडयंत्र की संभावना के सवाल पर त्रिवेदी ने कहा, ‘मैं इस बात में भी नहीं पड़ना चाहता कि मेरे साथ कोई षडयंत्र हुआ।’
रेल भवन में उनके अनुभव के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘यह एक बेहतर अनुभव रहा। अपने कार्यकाल के अंत में मैं एक बहुत संतुष्ट व्यक्ति के तौर पर विदा ले रहा हूं। मैं ‘रेल परिवार’ के 14 लाख सदस्यों के स्नेह और प्यार से अभिभूत हूं। ज्ञान, अनुभव और भावनात्मक स्तर पर मैं एक बहुत समृद्ध व्यक्ति के तौर पर विदा ले रहा हूं।’
रेल बजट, जिसकी वजह से उन्हें अपना मंत्री पद छोड़ना पड़ा, के बारे में त्रिवेदी ने कहा कि एक बार बजट जब संसद में पेश कर दिया जाता है तो फिर वह संसद का ही हो जाता है और संसद भारत की जनता की है। उन्होंने कहा, ‘मेरे साथ अहम की कोई समस्या नहीं है। मैंने केवल सही समय पर सही काम करना चाहा था।’
लोकसभा में सोमवार को ज्यादातर समय दिनेश त्रिवेदी सत्ता पक्ष में कांग्रेस सदस्यों के साथ ही बैठे। फिर कुछ देर बाद वह आगे आ गए और गृह मंत्री के पास बैठे। कुछ कांग्रेस सदस्यों ने उनसे हाथ मिलाया और उनकी पीठ ठोंकी।
कहा, मेरे साथ अहं की कोई समस्या नहीं है। मैंने केवल सही समय पर सही काम करना चाहा था रेलवे राष्ट्रीय संपदा है और एक अनुशासित सिपाही के नाते मुझे अनुशासन का पालन करना होगा पार्टी की लीडर ने कहा कि इस्तीफा दो तो मैंने यह नहीं पूछा क्यों और इस्तीफा दे दिया
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