स्पष्ट बहुमत के साथ ही सूबे की सत्ता हासिल कर चुकी सपा के सामने अब सूबे के लोगों से किए वादों को पूरा करने की बड़ी चुनौती होगी। वादा निभाने के लिए सरकार को न केवल अरबों रुपये की दरकार होगी बल्कि कानून व्यवस्था दुरुस्त रखने के साथ भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए कड़े फैसले भी लेने होंगे। बेरोजगारी भत्ते के लिए ही चाहिए डेढ़ हजार करोड़ : समाजवादी पार्टी ने सत्ता में आने पर बेरोजगारी भत्ता देने की घोषणा कर रखी है। पार्टी ने इससे पहले के कार्यकाल में जहां पांच सौ रुपये महीने भत्ता दिया था वहीं इस बार बेरोजगार नौजवानों को एक हजार रुपये देने का वायदा किया गया है। पिछले कार्यकाल में बेरोजगारी भत्ता देने से सरकारी खजाने पर हर वर्ष पांच सौ करोड़ रुपये का वित्तीय भार पड़ा था। वैसे तो बेरोजगारी भत्ता पाने के लिए पात्र बेरोजगार नौजवानों का अभी सही-सही आंकड़ा नहीं है, लेकिन भत्ते की राशि दुगनी करने के साथ ही सीमित सरकारी नौकरियों को देखते हुए मोटे तौर पर यह माना जा रहा है कि बेरोजगारी भत्ता देने से इस बार तकरीबन डेढ़ हजार करोड़ रुपये का सालाना वित्तीय भार आएगा। ज्यादा व मुफ्त बिजली देना होगी चुनौती : पार्टी ने दो वर्ष में गांवों के लिए 20 घंटे व शहर को 22 घंटे बिजली देने का वादा किया है। किसानों की तरह गरीब बुनकर को भी मुफ्त बिजली देने की बात घोषणा पत्र में कही गई है। उद्योग व कृषि क्षेत्र को भरपूर बिजली देने के साथ ही निजी व सरकारी क्षेत्र में बिजली उत्पादन को प्राथमिकता देते हुए नए बिजलीघरों का निर्माण व पुराने का सुधार तथा बिजली चोरी रोकने को लाइन लॉस घटाने की घोषणा भी की गई है। गौर करने की बात यह है कि अभी बिजली के उत्पादन व उपलब्धता की जो स्थिति है उससे ज्यादातर शहरों को ही 16-18 घंटे बिजली नहीं मिल पा रही है जबकि गांवों को तो औसतन नौ घंटे बिजली ही आपूर्ति हो रही है। चूंकि बिजली घरों की स्थापना में ही करीब चार वर्ष लगते हैं इसलिए फिलहाल बिजली की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार होता नहीं दिखता। मुफ्त बिजली देने से डेढ़-दो हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का अतिरिक्त बोझ उस पावर कारपोरेशन पर पड़ेगा जो पहले से ही आठ हजार करोड़ रुपये से अधिक के घाटे में है। ऐसे में सपा सरकार के सामने इस वादे को पूरा करने के लिए न केवल महंगी दरों पर अतिरिक्त बिजली खरीदनी पड़ेगी बल्कि गरीब किसानों-बुनकरों को मुफ्त बिजली देने के लिए बिजली दर बढ़ाकर सूबे के लोगों पर बोझ डालने जैसे अप्रिय निर्णय लेने की चुनौती भी होगी। टैबलेट व लैपटॉप के लिए 3800 करोड़ की होगी दरकार : पार्टी ने हाईस्कूल व इंटर पास विद्यार्थियों को मुफ्त टैबलेट पीसी और लैपटॉप बांटने का वादा किया है। मोटे तौर पर इस वर्ष हाईस्कूल पास विद्यार्थियों की संख्या 25 लाख व इंटर पास 21 लाख रहने की उम्मीद है। अगर टैबलेट पीसी का न्यूनतम मूल्य 50 डालर यानी लगभग 2500 रुपये ही माना जाए तो हाईस्कूल उत्तीर्ण विद्यार्थियों को उसे देने के लिए सालाना 625 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इसी तरह लैपटॉप की न्यूनतम कीमत 15000 रुपये मानने पर इंटरमीडिएट पास विद्यार्थियों को मुफ्त लैपटॉप मुहैया कराने पर प्रति वर्ष 3150 करोड़ रुपये का वित्तीय भार आएगा। इस तरह से मुफ्त टैबलेट पीसी तथा लैपटॉप देने के लिए ही सरकारी खजाने पर तकरीबन 3800 करोड़ का वित्तीय भार आएगा।
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