गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ दिल्ली में मोर्चा खोले बैठे पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल के साथ अब गोरधन झड़पिया भी खड़े हो गए हैं। केशुभाई ने सुषमा स्वराज और अरुण जेटली से मुलाकात कर मोदी की आलोचना की। तो महागुजरात जनता पार्टी के अध्यक्ष झड़पिया ने दस्तावेजों के सहारे मोदी के शासनकाल में विकास के दावों पर सवाल खड़ा कर दिया। झड़पिया बुधवार सुबह पूरी तैयारी के साथ मीडिया से रूबरू थे। सूचना के अधिकार के जरिए लिए गए सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि 2003 से लेकर अब तक वाइब्रेंट गुजरात के माध्यम से लगभग 39 लाख करोड़ के निवेश का सपना दिखाया गया था, लेकिन वस्तुत: महज 1.85 लाख करोड़ का ही निवेश हुआ। जाहिर है कि रोजगार भी प्रस्तावित आंकड़ों के मुकाबले महज 4 फीसदी ही हासिल हुआ। सीएजी के आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने मोदी के कार्यकाल में लगभग 25 हजार करोड़ के घोटालों का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पिछले दस वर्षो में मोदी ने यह भ्रमजाल फैलाया है कि उनके काल में भ्रष्टाचार मुक्त शासन और विकास हुआ है, लेकिन सच्चाई इससे परे है। चुनावी आहट के बीच वह हर महीने दिल्ली में दस्तावेजों के सहारे इसका खुलासा करेंगे। केशुभाई के काल को बेहतर बताते हुए उन्होंने कहा कि उनके समय गुजरात पर 34 हजार करोड़ का ऋण था जो अब बढ़कर 1.32 लाख करोड़ हो गया है। उन्होंने कहा कि मोदी ने टाटा समेत विभिन्न उद्योगपतियों को जिस तरह जमीन का आवंटन और सुविधाएं दी हैं उसका खामियाजा आम गुजराती को भुगतना पड़ रहा है। गुजरात दूसरे राज्यों को भले ही बिजली मुहैया करा रहा हो, खुद गुजरात में 4.5 लाख किसान का कृषि बिजली के लिए आवेदन वर्षो से अनसुना पड़ा है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मोदी की लोकप्रियता कम हो रही है और 2012 में उन्हें सत्ता गवांनी पड़ेगी। इससे पहले केशुभाई ने भी सुषमा और जेटली से मुलाकात कर अपनी शिकायत सुनाई। यह और बात है कि उनकी शिकायतों पर केंद्रीय नेतृत्व बहुत गंभीर नहीं है।
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